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________________ २३८ रायसेखी। पडिगए तर्तगासे चित्तेसारही कल्लपाउप्पभाएरवणीए फुल्लूप्पल कमल कोमलुम्मिल्लियमि पाहूरे पभाण कयणियमा बम्सए रस्सम दिणवरं तेयसा जलते मीड हाउ गिगच्छद्र २ जेगोव पण्सी राया तेणेव उवागच्छति २ पदेसिराय करयल जाव कद्दू जण्ण विजएगा वहावे एववयासी एवखनूदेवागुप्पियाा कावा एडि चत्तारि आसार उवयगड वणीयावेयमए देवाणुप्पियाग पहि यासामी असे पाइटिया पोसह तरण सेपणसीराया चित्त साहि एव वयासी गच्छाहिण तुम्भे चित्तातेहि चहि चैव श्रमेहिं यास रह जुत्तामेव उववेहि २ जावपव्वेष्पिणाहि ततेा चित्त सारही परसिणारणा एव वृत्तं समाया तुहियए जाव उवद्ववेति २ एवमाणत्तिय पच्चप्पियति ततेास पएसीराया चित्तस्स सारस्मि तिते एयमट्ठ सोच्चा निसम्म इट्ठतुट्ठजाव अप्पमहग्घाभरणालं भाणियत्व अल्लडगमयन्ति प्रथमगमकेन तद्यथा युस्माक प्रदेशी राजा हे चित्र आरामादि गत न वन्दते यवापि च श्रमात्यागच्छति तत्रापि हस्तादिनात्मानमावृत्य तिष्ठति त कहन्न चित्ता इत्यादि सुगमम । असा सम किलामसम्ममवर्णमी इति अश्वाना सम खेद क्लम ग्लानि सम्यक् अपनयाम स्फोटयानडा खलु जडमित्यादि जडमूढ पण्डित निर्विज्ञान शब्द कमलनीपापडी है उघडी इत्यथ राविपाध उल प्रभातबैधपुतिहा चित्र का नियम दिवस सदवि पत्त्वरकाण अनंदू श्रावस्य कपडिकमणु सहस्र किरगा श्रीमूर्य तेज करी जमुल्यमान पत्र तिवारी चित्तपोतानाघरथकी निकल नीकलीनद्र जिहा प्रदेसी राया तिहा जादू ज नइ प्रदेसीराजाप्रति हायजोडामस्तकरचचूडा जय विजयसन्दद् करी वडावर डावान एम बोल्यु यमुनाप्रकार निश्चड हेदेवानुप्रिया तुमनद्र कनोजदेसनद्र लोकि स्वार धोडा भेटणारुप अश्व तुमनद्र कोइकसमद्र जायाव्याकद्र आवउ स्वामी तेहघोडा आत्माना Refararou do करी सहित तेहकेह वाले देषु विभार पछी तेह प्रदेसी राजा चित्र सारधी प्रति मबोलताह या जाउ मुसे हे चित्र पर चिह्न नइ निश्चर घोडकरी घोडवहिलि जोती न वागव आयनेद्र माहरा श्रज्ञाऊपराठामुपु तिव्भार पकडू तेह चित्र सारथी प्रदेसी राजा न इकहिकद्र हर्प सतोष पामा राजोवी आणीऊभउकरड एमआना उपराठीसुद् तिहार तह प्रदेशी राजा चिवसारथी नइ समाप यह अर्थप्रति साभनी डिययवधारी हर्ष सतीपपामी स्नानकरी अल्पभारयतुम्नएहबदू आभरणट्र अलकृतसरीरथकु पीतानाथरथकी नीकलइ जिहा
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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