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________________ __ ०२१ रायपसेयी। तुरपतुरए गिगिपति रह ववेति रहाउ पच्चोरुति जेणेव कैसी कुमारसमणों तेणेव उवागच्छद २ कोसिकुमारसमण तिक्त्तो पाया . हिण पवाहिण कर वदति राममतिर शव्वासगणेणाइरेस मूसमाणे गमसमाणे अमिनुई पजलिउडे विणएगा पन्भावासद् ततण कैमोकुमार समणे चित्तम्स सारहिस्तीसेवहति महालियाए महब्ब परिसाते चाउमाम धम्मक तजहा सव्वातो पाणोणिवायाउवे रमणा १ सवाउ मुसावावा वेरमण सव्वाउ अदिगगाणाउ बेर मपा सव्वाउ वढिाणाउ वेरमगा ततेगा सा महति महालियामह चपरिसा केसिकुमारस्स समणस्त अतिए धम्मसोच्चा हहतुजावद्धि गम्यते कुवाणा । अम्बरतलमिद 'माकागतलमिव "स्फोटयन्तएगदिसाए” इति एकया दिशा पूर्वी गरलक्षगया एकाभिमुखा एक भगवन्त प्रति अभिमुखा एकाभिमुखा', "चाउघण्टन्ति चतमा घपटा, अवलम्बमाना यस्मिन् स तथा। अश्वप्रधानी रयी अश्वरध त यतमेव अश्वादिरिति गम्यते शेप प्राग्व्याख्यातार्थम्, जहजीवावसन्तीत्यादिरूपा धर्मकथा जपपातिकगायादव सया कमगलीकतेदधिदुवादिकतैहज प्रावछितस्वविधातवानद उपचार निर्दीपराजसभाद्र पहिरवा योग्य मगलीक वान प्रधान पहिया घोडयभारपणड मूलण्हवआभरा अलकृतसरीरहनत जिहा चतुर्घट पीडवदिलड तिहा जाइजदून चतुर्घट घोडवदिल चढदूर कोरिटफुल माता पहित छत्तद धारातइयका मोटायोध सविस्तर वृदबीटपउधक सावधीद नगरीनद माहिर पद जाइ जिहा कोप्टनाम चैत्ययक्षायतन जिहा केसी कुमार श्रममनद अतिवेगलुनहा तिक्षा नाइ जनदू कैसीन कुमार श्रमणनद अतिवेगलु तहा अतिदूकडुनहिघोडाप्रति गृहर रथ थापर रपथका ऊतर जिड़ा कैसी कुमार थमा तिहा जाड जइनदर कैसी कुमार श्रमणप्रति यमिवला जिमपामावासाची मांडाप्रदक्षणाकरण बांधकरजोडीनर मस्तक करीनमस्कारकरद पतिटूकटुनही पतिवेगलुनही सून्दधासेवाकरतुधकर नमस्कारकरतयक साइमुथइ हाथजोडा विनयकरी संवाकरइ तिहारपछी कैसी कुमार श्रमण चिव सारथीप्रति तह मौष घाउ विरत हन: महापूज्यपरिपटाइ यतीनोपरिपदाइलाकनीपरि ध्यारश्वमहावृतजिहाएदवा धर्म प्रति कहर तकारका सर्वयकाकृतकारितवनम प्राणातिपातमागासामोरवीसादयतहनुअतिपात भाम नामनवमरतहधकी सर्वथकी शासक्रोधमानमायालीमदमृपादोलवुतेइधकीबीजउमहावृत मर्दयकी राजस्वामीगुराजीवप्रदसनउलयतपयकी चिरमनुएहविरमऊसरपप्रमदावृतच्यार सर्व घकी पदारभेदेमैयुनादानपरिग्रहअनादिकए विनोनयको विरमवुनमहावृत निद्वारपीता
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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