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________________ २१५ रायपसणी। इवा प्राडगमहेइवाणदिमहेडवा सरमद्देइवा सागरमहेवा जणदमे वहवे उग्गा उग्गपुत्ता भोगा राइणा खत्तियाइ इक्खागकारव जाव इज्झाइझ पुत्तापहाया कववलिकम्मा जहोववाइए तहेव अप्पे गइया हवगवा जाव अप्येगइया पाटचार विहारण महयावदा चदएहिणिग्गच्छति एव सपेहेद २ कचुद युरिस सदावेद २ एव अवटनदीसर सागरा प्रतीता । (वहवे उग्गा उग्गपुत्ता भीगा जावलिपुत्ताति उगा आदि देवतास्थापिता दक्षुवशजा। उगुपुतास्तएव कुमारावस्थाएव भीगा आदि देवेनैवावग्थापिता गुरु वशजाता राजन्या भगवदयस्य वजा। वावत्करणात् “स्वत्तियमाहमा भट्टाजोहामल्ल इमल्लद पुत्तालेछद लेछ" इति परिगह। तब क्षतिया सामान्यराजकुलीना। भटा शीर्यवन्त ,योद्धास्तायी विशिष्टतरामल्लशिनीलेकविकच राजविशेषा स्तथा चेटकराजस्य थ य ते अष्टादशगणराजानी नवमल्लकिनी नवलेकिन , अन्नेय वहवे राइमरीत्यादि राजानी माण्डलिका इश्वरा टुवराजा नम्तलवरा परितुष्टनरपतिप्रदत्तपडा विभूपिता राजस्थानीया , माण्डविकाsta मायडवा धिया कटुभित्रका कतिपयकुटुम्बस्वामिनी बगलका! इभ्या महानिना थेप्टिन' श्रीदेवता च्यामित सोधणपविभूपितोत्तमामा सेनापतयो नृपति निरूपिताश्च तुरगसैन्यनायका,सार्थ वाहा सार्थनावका प्रभृति ग्रहणात मन्वि महामन्त्रि गणकदौवारिक पीठमदादिपरिग्रह। तन मन्त्रिण मतीता , महामविणो मबिमण्डल प्रधाना हरितसाधनोपकारिका इति वृद्धा,गणिका गणितचा भाण्डागारिका इति वृद्धा द्योतिषिका इत्यपरे दौवारिका प्रतीहाराराजद्वारिका वा पीठम ,पीठ मर्दयतीति पीठमदा यास्याने आसन्न प्रत्यासन्नमेवकावयस्या इतिभावा'। “जाव अचरतलमिव फोर्ड मायाउ" इति यावत्करणात 'अप्पेगड्या बन्दणवत्तिय अध्येगया पूयणवत्तिय एव सकारवत्तियम् मम्माम्यवत्तिय कोउहल्लवत्तिय असुबाइ सुणिस्सामीसुयाइशिरसकियाइ करिस्यामी सुण्डे भवित्ता महोत्सव दरीगुफा कूया नदीनुउछवतलीव समूद्रमहोत्मद जे0 कारणे एणr आदिनाथै धारक पर्णयाप्पातेवगा तेहनापुरतेउग पुत्र प्रादिनार्थेभिवपणैधाप्या राजवसायातेराजन्या दतिय लेसामान्यराजकुलीन पक्ष्वाकुतेऋपभकीदेववशरववस जावतसन्दघीधानबमल्ल ईमल्महस्तीपमा रोदसुष्टुपुवालेछइरपुत्तारादूसरतलबरवणानाधणीतेइघामाडलियकोडवियसेठसेनापतिसत्यवाहप्पमि इया इत्यनापुवतेभ्यपुत्र पहिलु स्नानकीधू धरनादेवतापूजापविनवस्वाभरणपहरा जिमउवाद सूबदलीकवादवानीकेलाआडवरसहित तिमहापणिजाम कोडक घोडेवेटा काइकहत्तीबेटा कोकपालसाइव इठर पालाशथीलताई मोटउमनूष्यनुवृ दसमूहनै मनुष्यव दह' वागायका नीकनकद एम मनमाहिविचारइबिचारीनद ससरापुरुषप्रति तेडावतेडावीनर एम चिव
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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