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________________ रावपर्सपी। महत्य जावपाहुड गिराहइ २ जेणेव चाउघट आसरई तेणेव उवा गच्छद् र चाउघट आसरह दुमहति वहि पुनमुहि सपण जाव गहियाउ वडपहरणोहि महसपरिवुडे सक्कोरिन्द मल्लटामेणा छत्ता धरिझमागोण महया भडचडगरपड़करचदपरिक्खित्ति सवातो गिहातो गिग्गच्छति सेवविया गरि मझ मझोण णिग्गच्छदर मुहि वासहि पायरासएहि णाइविकहेहि अतरावासेहि वसमाणे केय अवस्स जणवयस्स मज्झमझोण जेगोव कुगणाला णाम जा वते जेयोव सावत्धी णगरी तेपोव उवागछिति तेगोव उवागच्छित्ता सावत्थीए गरीए मज्म मझगा अणुपविसति जेणेव जियशतुस्स रणो गिहे जेणेव वाहिरिया उवट्ठाण साला तेणेव उवागच्छति २ रहवेति २ रहातो पच्चारुभति त महत्व जाव पाडुड गिगहे। जेणेव अभितरिया उवट्ठाणसाला नेणेव जिय सत्तु राया तेणेब उवागच्छति २ जियसत्त राव करयलपरिग्गइिव जाव कट्ट जएगा विजएगा वट्टरवेइ २ त्ता त महत्व जाव पाहुड उवणेत्ति ततेणा ध्यतेऽनेनेत्यायुध खेटकादिनहरन शकुन्तादिगृहीतान्यायुधानि प्रहरणानि च येन स गृहीता तिहा जाइ जन चतुर्पट घोटबहिलचडाइ घणद पुरिसद सनावदकर गहिवाछद्र गापूजेणे एहवइपुरुषमाथि परवरा थकु कोरिटना फूलमालासहित छनई मस्तक धारीत धकै मोटर प्रकारि सुभटनउविस्तारबतसमूहना वृदद बाधकर पीताना घरथकी नीकल सेयविया नगरीनद माहिमाहिघर नीकले नीकलीनद सुखद बसद पहुरलगा वालवह अतिदुरनदी विधि वासद वसतउर केकयईन देसनद माहि माहिघर जिहाँ कुणाला नाम देस जिहा सावधी नगरी तिहा नाद तिहा जदून सावधीनद नगरीन माहि माहि प्रवेशकर जिहा जित सनुनु रायनु घर निहा बाहिरला बसवानी सभा तिहां जाइजइनए रथथापइयापीनह ग्यथका उत्तर तहमोट्यध बहुमूल्य भेटणउ गृह जिहा महिला वासवाना सभा जिहा जितमन पना तिहां जाइ जन स्तिमन, राजाप्रति विद हाधिकरी नीपजामस्तकद्र धावत यजला करी जयविजयशब्दहकरी वधावः वधावीन तहमीअर्थ बहुमूल्य भेटणट आगलि' आणाम कर तिद्वारपछी ते जिनसब राजाचित नउसारथीनउ वेहमीटुअथ वमुल्यभेटणट लेंद्र चित्तसारथि प्रतिवस्तादिकद्रसरकारदद् काइकअभ्युत्थानादिकादरदे पादरददविसजदूतारा
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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