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________________ जा श्र भाविकान्ति प्रावीय सम्प्रदानभूर्त | पात प्रकर्पे प स्वाति । यह सरास्त भावस्पति भाडोतदतिः कचिदिव । भावभौय । पचचिक' चदनगन्मादिभि । वदचिर्ण स्तुतिभि । नर्म प्रणामतः पूयधिक पुष्पं । मकारविवो सम्मापविमान faceतया । मा मङ्गल देवयं देश्य विषएवं पशुवास विकले बच्चायमित्यादि बुध्या विनयेन पर्युपासनीयन्त कम्पायमर्थ समर्थमति निटदेवता प्रतिमादि दिव्य प्रधान सर्व सम्म सत्यादेशयात् सचोवाद सत्याभिशाप सत्यमेव सेवाया सफलीकरपात् परे विहितवता गतिहार्य arrer भारयदित्वए वागा पूजाविशेषा वाह्मप्रसा तमसा भागमंग प्रतोति पालुपिज्जे अञ्चचिज्ज्ञ षदा बन्च नर्ममणिन्न पूर्याज्जे सारणिने सम्मापपिज्जे कलाय मगज देषयं चेद्रय विणण्यं पञ्ञ्जुषामणितं दिष्वे मञ्च मचो गए सच्चप्यमावे सम्मिहिष पाठिहेरे नागमन्च ऋ भागपडिच्छए वडजणो अञ्च मारवाडिर पोपानावजानवार सपेनारमा बारगाहको मामघमाटवबुधा तेयइक रोपरिगतसहित एहयोचे वजनघालोचनगर मावासतियाजनपदतेनानिवासोलोय ते माहिं विश्वतविख्यातविस्तारपामतोकीर्त्तियमवर घयाचोकन्द्र पासव पाहुतिगादातारजे वेदमंत्र भयौ देवताशुपाशान करते हमर भानुविले व पाहानयोग्य पानिको के विशेष वारी प्राचानयोम्पते यचते प्रगटधारकर चंदनादिवर रोपवा योग्य तिरोवावदिवा योग्यच नर्मसचिव मचामेरोनमस्कारयोग्यदर पुष्पादिकर करो पूजनोथर समावि कहतादिवर कासकर करवायीवर समापन बहु सनमान देवत्वारो मानिवायोम्मदर कथानकहनिकारक मंगदुरितन टा ----
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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