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________________ ततिदिन रचितवेदित । वाग्मोममहिए बाध्यं मम गवादिनोपमा मेटिदिभि सग्रोवरण राताम्य ममिति पुति यत्तत्तथा । गोसोम सरसरतचंद दहरपि च गति गोयोर्येव सरसरलपन च दर्शवतेन चपेटामा वा दत्ता पाता यत्र तत्तथा । उपचिस चन्दचवास मे उपपिता निवेगिता चन्दनकासा मनघटा यथ तथा यह सुन्वय तोर परिवारसमा घन्टा ततोग्यानि च दारयभाग प्रति यमि वन्दनघट तोरण प्रतिहारदेशमाग रेशमागाच देशाए । तोवारियमकामनाये धामको भूगोल उपरिसंवद्ध विपुलवितीर्ण हत्तो वग्वारिपोशि मनमान मादामकाप पुष्पमानामधे यत्र तत्तथेति । पचतामरसुरभि कपय जोवरतानिए पश्चात सरमेन सुरभिया मुखेन विशे सपडाग पडा गार पड़ा गमडिए सलोमहत्या करवेयहिए नाउलो ग्यमहिए गोतम सम्म रत्तच ददिण प गुलिसले उति चदयकलसे चदयवच सुकय तोग्य पडिदवारटेसभा र श्रामत्तोत्तनिवट्ट वग्वारियम मोम पोमीरप सोप्पोमा घाउ विकारमिति पुलिस सरमतत्वानावस्य रमतात्रयो नपरतुन वेणीघावर पर्वगुतितचपेटाहाचाजितो वारपत्र पायावर चंदना कल मांडा चंदननाषण भाग कोधाकर तोरण मन्दिरमार जागा देशविभागप्रति घामश्य ऋष्ठत भू।ि पडतो उसप्त परिसंबंध मलयो मान्यकून मोदाममाद्यागका प धाि नगरि समाधारित
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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