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________________ प्रतीतानि दोषिका सारी पिपत्ति बेदाः एतेषां से गया रम्यतादम स्टोबपरीता युक्ता या सा तथा उपपततस् त्रयस्य स्याने गवादि दर्धमादकारकोत्रे तपपेतेति भवति । पिठाते मन्दवन वसविमप्यगासा गन्द भवन मेरोर्द्वितीयवनं तत्पुत्रासदिभ प्रत्रायो तथ्य सा तथा बस प्रचागन्दा हो उहुमच चादाविवेति। विविधायक सह विज बातमुपरिवि सोर्बम् परिवार अब उपरि च समाजातरूपा यम्पो सा तथा वर दुप्परेमा चक्राणि रथानानि परमानानि वा मदा महत्वविपा मसठपोप्येव पारोध महाशिवाय या उपरिहापातिता समतानिपपात्र प्रतोति यामि मममन्वित विपुल दो गभीरमचयमध्य मठ रोष सग्धि प्रमद बाड प्रतोसिहारे सरकार सभायते पाच यानि पानिप नाग दौहिव वप्पिवि गुणोश्वेया नटावणसन्निभव्य गाठा ( इतिकचित्पाठ ) उवि गंभौर सायफलिहा व गय मुसु दिउरो सयग्धि जमल काड़ घण दुष्पवेमा धणुकूलि रवि पापमोजिह? पप्पनिक पायोमाबारा परमयगृप करोष्ठपपेतसहितग्मयोककर मदमवनमेतन योजनमदिनमा उद्योतक हम बि को पो गंभीरता मध्यम परिपिटकोमोरियनापार कहन रचना पर गदा नदासोहमयमायुष मुडित्रपत्रियारवि नरोहत पोलिमर बारहठ ममममममा विशत्रित बसोबरच परसोममिवर नव धनयमोपरिट एपरमाचार गते पर परिचितोरोवरप्रेम धनबह
SR No.007378
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1896
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_aupapatik
File Size9 MB
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