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________________ REET E डिगया तेण’कालेण तेण समरणं समस्त भगवन्श्रोमहावीरस्य ने अंतेवासो इंदभुइणामंत्रण गारेअदूरसामंते जानमुक्का गोवगए विहरदू तरणंसेद् भूईजायस एवं वयासौक हा भंतेजीवा गम्यत्तंवालजयत्त'वा हव्यमागच्छति गोयमासेनहागामए केइरिसेएमचं तुच्छि भगवंत याव्याजागी नगरमा दियो परमदानीमरीवादिनामणी श्रेणिक राजापिगनीम योतिानाव्यो भगव॑नेषन्त्रोपसीषोजे गीटिपिपरिमापीडती तेगीनदि सिंघईने गई ते फालते समयने विषे मातीनो भगयंतज्ञानवंत श्रीमानीरदेवनो जेठ समीपनोरोमिप्य इंद्रभूतिनामायणागारगगाधर प्रतिघणंगलोनी पटुडोपानहीं मठो तोताजा ध्यानसहिततो विचरेदेव तिवारिषुद्रभूति ने ज्ञात उपनी पानी दावा राजेश ने मंदेड ऊपनो एउयोगोतम गणधर इम प्रागलिनस्य तमपूश्तोव भगवंतपते किम भगवन् जीनगरूप भाग्यवाद वली जीवला के उताव पामेयामोतार श्रीवीरकगोतनः यथानामेको एकरुप एमोटोकोएं व निरचितएषु
SR No.007376
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1909
Total Pages1487
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, & agam_gyatadharmkatha
File Size50 MB
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