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________________ ( २२ ) वें जैनमन्दिरों को अपनी जागीरी बना चुके हैं कई मन्दिर और मन्दिरों की स्थावर मिलकत पर पूजारियों ने अपना कब्जा भी कर लिया हैं इन पूजारियों की काली करतूतें से ही तो कई जैनमन्दिरों में चौरीयों होती हैं जिसके समाचार प्रति सप्ताह में वर्तमान पत्रों द्वारा आप पढ़ ही रहे हैं। कई मन्दिरों में इन पूजारियों ने अन्य देवी देवताओं कों घुसेड दिये है कि जिन को उठाने में जैनों को लाखों रूपये खर्च करने पड़ते है । इतना ही नहीं बल्कि कई जैनमन्दिरों को अन्य धर्म के मन्दिर तक बना लिये है । जीवती जागती जैन कोम पर पूजारियोंका यह जुलम एक दयाधर्म पालनेवाली जैन कोम ही सहन कर सकती है यदि आर्यसमाजी-मुसलमान और क्रीश्चियन होतें तो कदापि सहन न करते, वे कान पकड़ कर उसी वख्त निकाल देंते । जैनियों तुमारे अन्दर कुच्छ जीवन रहा हैं तुम्हारे धर्मका कुछ गोरव हैं ? यदि है तो कुंभकरणि निंद्रा को दूर कर देखो कि इस समय आर्थिक संकट में प्रतिवर्ष ढाई किरोड़ रूपये जिसमें १६००००००) तो जैन गृहस्थों के घरोंसे और ९००००००) रूपये जैनमन्दिरों की आमदानी से अर्थात् देवद्रव्य से विधर्मीयों को दिये जाते हैं यह एक मिथ्यात का तो पोषण है ही पर साथ में मन्दिरोंकी आशातना और धर्म की निंदा करानेका भी कारण है। एक तरफ केवल मन्दिरों की पूजाई के लिये भाडूती पूजारियों को इतनी बड़ी रकम दी जाती हैं तब दूसरी और आपके स्वाधर्मि भाई आर्थिक संकट से दुःखी जीवन गुज़ा
SR No.007296
Book TitleAnarya Krutaghni Sevago Ki Kali Lartoote
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimal Jain
PublisherMishrimal Jain
Publication Year
Total Pages34
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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