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________________ तेरापंथ-मत समीक्षा | ३१ प्रश्न कैसे पूछे जाते हैं ? यहभी मालूम नहीं हैं और जिनका एक एक शब्द प्रायः भूलसे खाली नहीं है, वे क्या समझ करके मूल सूत्रों से प्रश्न के उत्तर मांगते होंगे ? | प्रश्न १ - श्री जीनप्रतीमाकी धव्य पूजा करनेमे धर्म ओर श्री जिनेस्वरदेव कि- आग्या पुरूषते हैं सो जीनेस्वरदेवने तीस सात्रांमे कीस जगे अग्या फरमाई हैं और धर्मका हे । उत्तर - रायपसेणी सूत्रके पृष्ठ ३० में, सूर्याभदेवने, आभियोगिक देवोंको आमलकप्पा नगरी में, जहाँ वीरप्रभु विचरतेथे, वहां एक योजन जमीन साफ करनेको कहा है। वहां देव, परमात्मा महावीर देवके पास जा करके इस तरह कहते हैं, " जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुतो आयाहिणं पयाहिणं करेंति ५ त्ता वंदइ नमसइ नमंसित्ता एवं वयासी अम्हेणं भंते सूरियाभस्त देवस्स आभियोगिया देवा दिवाणुप्पियं वंदामो नमंसामो सकारेमो समाणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं वेश्यं पज्जुवासामो देवाई समणे भगवे महावीरे ते देवे एवं वयासी पोराणमेयं देवा ! जायमेयं देवा ! किच्चमेयं देवा ! करणिजमेयं देवा ! आचिण्णमेयं देवा ! अब्भण्णुष्णायमेयं दवा ! | " अर्थात् - जहां श्रमण भगवान् महावीर हैं, वहां आ करके भगवानको तीन प्रदक्षिणा दे करके ऐसे बोले:- हे भगवन् !.
SR No.007295
Book TitleTerapanth Mat Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherAbhaychand Bhagwan Gandhi
Publication Year1915
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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