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________________ ओसवालों की उत्पत्ति शङ्का नं० ७-इस शङ्का में कई लोग तो भिन्नमाल के परमार राजाओं की शोध कर वि० सं० १११३ का कृष्णराज परमार का शिलालेख आगे रख कर कहते हैं कि इसके पूर्व भिन्नमाल में परमारों का राज नहीं था। इसलिए वि० पूर्व ४०० वर्ष में उत्पलदेव परमार ने श्रीमाल से आकर उपकेशपुर बसाया यह सिद्ध नहीं होता है, और कई एक लोगों का कहना है कि श्रोशियां का बसाने वाला आबू का उत्पलदेव परमार ही है, जिसका समय वि० की दशवीं शताब्दी का है। इन दोनों का तात्पर्य यह हो सकता है कि जो पट्टावलियों में भिन्नमाल टूट के ओसियों बसना लिखा है यह गलत है। क्यों कि वि० सं० १११३ के पहिले भिन्नमाल में परमारों का राज नहीं था । और दूसरा बाबू के उत्पलदेव परमार ने श्रोसियो बसाई, जिसका समय विक्रम की दशवीं शताब्दी है, इसलिए ओसवालों की उत्पत्ति इसके बाद की होनी चाहिए ? समाधान-इन दोनों नृपतियों के शिलालेख बड़ी खोज से प्राप्त हुए और बड़े महत्व के हैं, पर ओसवालों की उत्पत्ति के विषय में इनका प्रमाण देना केवल हास्यास्पद ही है, कारण जब ऐतिहासिक प्रमाणों द्वारा पोसवालों की उत्पत्ति का समय विक्रम की पाँचवीं शताब्दी से नौवीं शताब्दी तक प्रमाणित है तो फिर दशवीं शताब्दी के पश्चात् ओसवालों की उत्पत्ति का अनुमान करके इतिहास के नाम पर जनता को भ्रम में डालना इतिहास की अवलेहना नहीं तो और क्या है ? । प्रथम तो किसी ग्रन्थ या पट्टावलियों में यह लिखा नहीं मिलता है कि वि० पूर्व ४०० वर्ष में भिन्नमाल में परमारों का राज था, तथा श्रोसियों परमारों ने ही बसाई थी। दूसरा यह भी किसी स्थान पर नहीं लिखा है कि आबू के उत्पलदेव परमार ने विक्रम की दशवीं शताब्दी में ओसियाँ नगरी बसाई थी, अतः यह बात भी प्रामाणिक नहीं है, फिर केवल भ्रमता में पड़ कर अपने माने हुए अनुमान से ही इतिहास का खून करना क्या यही ऐतिहासिकता है ? । असली तात्पर्य यह है कि-उपकेशपुर, उपकेशवंश और उपकेशगच्छ ये बहुत पुराने हैं। जैन ग्रंथ और पट्टावलियों में इनका अस्तित्व समय विक्रम पूर्व ४०० वर्ष का है, और ऐतिहासिक प्रमाणों से भी
SR No.007293
Book TitleOswal Ki Utpatti Vishayak Shankao Ka Samadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherRatnaprabhakar Gyanpushpmala
Publication Year1936
Total Pages56
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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