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________________ श्रीरत्नप्रभसूरिसद्गुरुभ्यो नमः पूज्यपाद प्रातःस्मरणीय इतिहास-प्रेमी ज्ञान-प्रचारक मुनि महाराज श्री श्री १००८ श्री श्री ज्ञानसुन्दरजी महाराज साहिब के सदुपदेश से श्री रत्नप्रभाकर ज्ञानपुष्पमालादि संस्थाओं द्वारा पुस्तकें मुद्रित हुई जिनका सूचीपत्र - *नम्बर पुस्तकों के नाम मूल्य | १५ बतीससूत्र दर्पण १ श्रीप्रतिमाछत्तीसी ॥ १६ जैन नियमावलि .. २ गयवरविलाप ।) १७ जै० म० चौरासी अाशातना)|| ३ दानछत्तीसी | १८ डंका पर चोट भेट ४ अनुकम्पाछत्तीसी ॥ १६ आगम निर्णय प्र० अंक -) ५ प्रश्नमाला स्तवन २० चैत्यवंदनादि ६ स्तवनसंग्रह भाग पहला :) २१ जैनस्तुति ). ७ पैंतीस बोलों का थोकड़ा -) २२ सुबोध नियमावली । 0 ८ दादासाहिब की पूजा । २३ जैनदीक्षा )| १ चर्चा का पब्लिक नोटिस )॥ २४ प्रभुपूजा विधि ॥ १० देवगुरुवन्दनमाला -) | २५ व्याख्याविलास प्र० भा० -) -) ११ स्तवनसंग्रह भाग दूजा -) २६ शीघ्रबोध भाग १ ला ।) १२ लिंगनिर्णय बहुत्तरी -)| २७ " " २ जा ) १३ स्तवनसंग्रह भाग तीसरा -) " " ३ जा १४ सिद्धप्रतिमा मुक्तावली ॥ " " ४ था .. भेट
SR No.007290
Book TitlePrachin Jain Itihas Sangraha Part 04 Jain Dharm ka Prachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherRatnaprabhakar Gyanpushpamala
Publication Year1935
Total Pages34
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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