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________________ कलिङ्ग देश का इतिहास २६ राज्य का भी खूब विस्तार किया तथा प्रजा की आवश्यकताओं को उचित रूप से पूर्ण कर शान्तिपूर्वक राज्य किया। ... महाराजा शोभनराय की पाँचवीं पीढ़ी में वीरात् १४६ वर्ष में चण्डराय नामका कलिंग का राजा हुआ था। उस समय मगध प्रान्त का राजा नन्द था। नन्द नरेश ने कलिङ्ग देश पर चढ़ाई की। आक्रमण करके वह मणियाँ, माणिक आदि बटोर कर मगध में ले जाता था। कुमारिगिरि पर्वत पर जो मगधाधीश श्रेणिक का बनवाया हुआ उत्तङ्ग जिनालय था उसमें स्वर्णमय भगवान ऋषभदेव की मूर्ति स्थापित की हुई थी। नन्द नरेश इस मूर्ति को भी उठा कर ले आया था । इस समय के पश्चात् खारवेल से पहले ऐसा कोई कलिंग में राजा नहीं हुआ जो मगध के राजा से अपना बदला ले । यदि सबल राजा कलिंग पर हुआ होता तो इससे पहिले मूर्ति को अवश्य वापस ले आता । . शोभनराय की आठवीं पेढी में खेमराज नामक राजा कलिंग देश का अधिकारी हुआ । इस समय मगध की गद्दी पर अशोक राज्य करता था। अशोक नृप ने भारत की विजय करते हुए ई. स. २६२ वर्ष पूर्व में कलिंग प्रान्त पर धावा बोल दिया। उस समय भी कलिंग राजाओं की वीरता की धाक चहुँ ओर फैली हुई थी। कलिंग देश को अपने अधीन करना अशोक के लिए सरल नहीं था। दोनों सेनाओं की मुठभेड़ हुई। अशोक की असंख्य सेना के आगे कलिंग की सेना ने मस्तक नहीं झुकाया। दोनों ओर के वीर पूरी तरह से अड़े हुए थे । रक्त
SR No.007289
Book TitlePrachin Jain Itihas Sangraha Part 03 Kaling Desh ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherRatnaprabhakar Gyanpushpamala
Publication Year1935
Total Pages44
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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