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________________ कलिङ्ग देश का इतिहास विक्रम की दूसरी शताब्दि में विख्यात प्राचार्य श्री स्कंदल सूरीजी के शिष्य प्राचार्य श्री हेमवंतसूरीने संक्षेप में एक स्थविरावली नामक पुस्तक लिखी थी उसमें उन्होंने प्रकट किया है कि मगध' का राजा नन्द, कलिंग का राजा भिनुराज तथा कुमार नामक युगल पर्वत था इस स्थविरावली में: १ मगध का राजा वही नंदराज है जिसका उल्लेख खारवेल के शिलालेख में हुआ है। उसमें इस बात का भी उल्लेख है कि नन्दराजा कलिंग देशे से जिनमूर्ति तथा मणि रत्न आदि ले गया था। २ कलिंग का राजा वही भिक्षुराज बताया गया हैं जिसका वर्णन खारवेल के शिलालेख में आया है । उस में इस बात का भी जिक्र है कि भिक्षुराज ने भारत विजय कर मगध पर चढ़ाई की थी और जो मूर्ति तथा मणि रत्न नौंदराजा ले गया था वे वापस ले आया। वह जिनमूर्ति पीछी कलिंग में पहुंच गई। ३ कुमार पर्वत ( जो आजकल खण्डगिरि कहलाता है ) का उल्लेख शिलालेख के कुमार पर्वत से मिलता है । यह वही पहाड़ी १ जसभहो मुणि पवरो । तप्पय सोहं करोपरो जाओ। अट्ठमणंदो मगहे । रञ्ज कुणइ तया अइलोहो । ६ । २ सुटिय सुपडिबुड्ढे । अज दुन्नेवि ते नमसामि । - भिख्खराय कलिंगा। हिवेण सम्मणि जि४।१०। ३ जिण कप्पिपरिकम्म । जो कासी जस्स संथवमकासी। कुमारगिरिम्मि सुहत्थी । तं अज महगिरि वंदे । १२ । ..
SR No.007289
Book TitlePrachin Jain Itihas Sangraha Part 03 Kaling Desh ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherRatnaprabhakar Gyanpushpamala
Publication Year1935
Total Pages44
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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