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________________ [ १२ ] चार पीढ़ी के आगे किसी को भी मानने को इन्कार हैं तो ऋषभदेव तो बहुत पुराने समय में हुये हैं, पर आप यह बतलाइये कि आप कितने तीर्थंकरों को ऐतिहासिक पुरुष मानते हैं ? कान्ति-भगवान महावीर और पार्श्वनाथ कितनेक नयि सोध वालों के मत से भगवान् नेमिनाथ भी एतिहासिक पुरुष - हैं शेष के लिये इतिहास प्रमाण नहीं मिलता हैशान्ति-अच्छा भाई यह तो श्राप मानते हो कि आप के पूर्वज लछमणसिंह किसी मनुष्य की श्रोलाद थे? . कान्ति-पर इतिहास में यह पता नहीं चलता है कि लछमणसिंह ___का पिता कोन था ? . शान्ति--इस लिये ही हम कहते हैं कि अनुमान प्रमाण के चार . नेत्र होते हैं। और इसी के द्वारा मनुष्य जान सकते हैं कि लक्षमणसिंह के पिता का नाम भले ही इतिहास में न हो पर वह मनुष्य को संतान अवश्य है-इसी मुवाफिक नेमिनाथ के पहिले के तीर्थंकरों का नाम भले ही आपके इतिहास में न हो पर वे हुए जरूर हैं । अनुमान प्रमाण से यह बात सिद्ध भी है कारण यह तो कदापि नहीं माना जाय कि नेमिनाथ के पूर्व भारत में कुछ भी नहीं था ? क्योंकि भारत में मनुष्य थे। मनुष्यों को सद् मार्ग बतलाने वाले महर्षि भी थे उनको ही हम तीर्थकर व महापुरुष कहते हैं और वह काल्पनिक. नहीं है जैसे २ सोध खोज होती जायगी . वैसे २ हमारा आगम और अनुमान प्रमाण प्रत्यक्ष एवं 'इतिहास प्रमाण में परिवर्तन होता जायगा। एक समय था
SR No.007288
Book TitlePrachin Jain Itihas Sangraha Part 02 Jain Rajao ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherRatnaprabhakar Gyanpushpamala
Publication Year1936
Total Pages66
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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