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नता। दोनो बातों पर सोचते हैं तो मन्दिर तो चौदहवीं सदी से ज्यादे पुराना मालूम नहीं होता, और शिलालेख आदि से भी चौदहवीं सदी के लगभग बना हो एसा निश्चय होता है । और प्रतिमाजी के लिये यह सिद्ध नही हो सकता कि कौन सी सदी के हैं। प्रतिमाजी की प्राचीनता के लिये हम प्रतिमा प्रकरण में कुछ बयान करेंगे। लेकिन सब से पहले मन्दिर की प्राचीनता के बाबत उल्लेख करना चाहते हैं सो पाठक ध्यान देकर पढें ।