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________________ ( ७८ ) किल हो गया था एसे समय में पुलिस पर भी हमला करने में कमी नहीं की थी। लेकिन न तो आनेवालों के पास कोइ लकडी या हथियार था और न पुलिस के पास कोई हथियार था अगर हथियार होता तो मामला अति भयङ्कर बनजाता। अब क्या होता है कि हठवादी मण्डल जिन्होंने तूफान किया उन को बाहर निकाले जा रहे थे और वह अपना हठवाद न छोडते थे । इधर से वारी ढोल की आवाज से जो मनुष्य जमा हो रहे थे वह मन्दिर में जाने लगे उस समय अन्दर व बाहरवालों का सङ्गम हो गया । उस समय एक सिपाही पुलिस का और सात आदमी दूसरे कुल आठ आदमी नीचे गिर पडे । और बाहर आनेवाले लोग थे वह इन के उपर होते हुवे निकल गये । दुर्भाग्यवश अत्यन्त खेद के साथ लिखना पडता है कि आठ में से चार के प्राण वहीं पूरे हो गये और चार आदमीयों को हवा वगैराह उपचार से शांति पहुंची। जैनमन्दिर में एसे उत्सव के समय इस तरह मृत्यु का होना हमारी समज में तो यह पहेला ही मौका है। हम प्रार्थना करते हैं कि उन चारों भाइयों की आत्मा को शांति पहुंचे। इस उत्सव के मौके पर उदयपूर के श्रावक इने गिने ही थे क्यों कि इसी तिथी को तीर्थ करेडा में बावनजिनालय में प्रतिमा स्थापन व ध्वज दण्डारोहण का महूर्त था, और करेडा नजदीक है व बडा महोत्सव और उदयपुरनिवासियों में से कितनेक को तो प्रतिमा स्थापित व ध्वजदण्डारोहण निज के हाथ
SR No.007283
Book TitleKesariyaji Tirth Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherSadgun Prasarak Mitra Mandal
Publication Year1934
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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