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________________ च० खण्ड] चौथा अध्याय : शिक्षा और विद्याभ्यास २९५ ल्लय )।' घोटकमुख (घोडयमुह ), सगडिभद्दिआउ, कप्पासिअ, णागसुहुम, कनकसप्तति' (कणगसत्तरी), बैशिक ( वेसिय), वैशेषिक (वइसेसिय), बुद्धशासन, कपिल, लोकायत," षष्ठितंत्र (सट्टितंत), माठर, पुराण, व्याकरण, नाटक, बहत्तर कलायें और अंगोपांगसहित चार वेद । नन्दिसूत्र में त्रैराशिक, भगवान् पातंजलि और पुरुषदेव का भी उल्लेख मिलता है। ____ स्थानांगसूत्र नौ पापश्रुत स्वीकार किये हैं :-१. उत्पात-रुधिर की वृष्टि आदि अथवा राष्टोत्पात का प्रतिपादन करनेवाला शास्त्र, २. निमित्तअतीतकाल के ज्ञान का परिचायक शास्त्र, जैसे कूटपर्वत आदि, ३. मंत्रशास्त्र, ४. आख्यायिका (आइक्खिय)-मातंगी विद्या जिससे चांडालिनो भूतकाल की बात कहती है, ५, चिकित्सा (आयुर्वेद), ६. लेख आदि ७२ कलाएं, ७. आवरण (वास्तविद्या), ८. अण्णाण (अज्ञान)-भारत, काव्य, नाटक आदि लौकिक श्रत, ९. मिच्छापवयण (मिथ्याप्रवान) बुद्ध-शासन आदि । देखिए नेमिचन्द्र, गोम्मटसार, जीवकांड, ३०३, पृ० ११७; मूलाचार, ५, पृ. ६० आदि । मूलाचार में कहा है-असवः प्राणास्तेषां छेदनभेदनताडनत्रासनोत्पाटनमारणादिप्रपंचेन वंचनादिरूपेण वा रक्षा यस्मिन् धर्मे स आसुरक्षो धमा नगराधारक्षिको पापभूतः । १. कोडिल्लय को चाणक्ककोडिल्ल भी कहा गया है, सूत्रकृतांगचूर्णी, पृ० २०८ । सूत्रकृतांग ( ९.१७) में अठ्वय का उल्लेख है जिसका अर्थ टीकाकार ने चाणक्य का अर्थशास्त्र किया है । जैन साधुओं को अर्थशास्त्र के पठन-पाठन का निषेध है । वसुदेवहिण्डी (पृ० ४५ ) और ओघनियुक्ति (पृ० १५२ ) में अर्थशास्त्र की एक प्राकृत गाथा उद्धृत की गयी है जिससे प्राकृत में अत्थसत्थ होने का अनुमान किया जाता है; आवश्यकचूर्णी पृ० १५६ । चूलवंस (६४.३) में कोटल्ल का उल्लेख है। २. घोटकमुख का उल्लेख चाणक्य के अर्थशास्त्र ५.५.९३,५६, पृ० १९५ में और वात्स्यायन के कामसूत्र (पृ० १८८) में किया गया है। तथा देखिए मज्झिमनिकाय २,४४, पृ० ४१४ आदि । ३. ईश्वरकृष्ण की सांख्यकारिका का दूसरा नाम । ४. कपिल और आसुरि के लिये देखिये आवश्यकचूर्णी पृ० २२९ । ५. दोघनिकाय १, ब्रह्मजालसुत्त पृ० ११ में लोकायत का उल्लेख है। ६. सूत्र ४२ । ७. ९.६७८; तथा सूत्रकृतांग २, २.३० । तुलना कीजिए सम्मोहविनोदिनी
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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