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________________ 3 सम्प्रति प्राचार्यवर्यं पूज्य विमलसागरजी महाराज के प्रति देश एवं समाज अत्यन्त कृतज्ञता ज्ञापन करता हुआ उनके चरणों में शत-शत नमोऽस्तु करके दीर्घायु की कामना करता है । ग्रन्थों के प्रकाशन में जिनका अमूल्य निर्देशन एवं मार्गदर्शन मिला है । वे पूज्य उपाध्याय भरतसागरजी महाराज एवं माता स्याद्वादमति जी हैं । उनके लिये मेरा क्रमशः नमोऽस्तु एवं वन्दामि है। उन विद्वानों का भी प्राभारी हूँ जिन्होंने ग्रन्थों के प्रकाशन में अनुवादक, सम्पादक एवं संशोधक के रूप में सहयोग दिया है । ग्रन्थों के प्रकाशन में जिन दातानों ने अर्थ का सहयोग करके अपनी चञ्चला लक्ष्मी का सदुपयोग करके पुण्यार्जन किया उनको धन्यवाद ज्ञापित करता हूं । ये ग्रन्थ विभिन्न प्रेसों में प्रकाशित हुए एतदर्थं उन प्रेस संचालकों को जिन्होंने बड़ी तत्परता से प्रकाशन का कार्य किया का भी धन्यवाद ज्ञापित करता हूं । अन्त में उन सभी सहयोगियों का प्राभारी हूं जिन्होंने प्रत्यक्ष परोक्ष रूप में सहयोग प्रदान किया है । - ब्र. पं. धर्मचन्द शास्त्री - अध्यक्ष भारतवर्षीय श्रनेकान्त विद्वत् परिषद
SR No.007278
Book TitleAmitgati Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmitgati Aacharya, Bhagchand Pandit, Shreyanssagar
PublisherBharatvarshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages404
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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