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________________ सामायिक कहाँ करना चाहिए ? साधु के समीप उपाश्रय में, पौषधशाला में, स्वगृह में । जिन मंदिर में नहीं । सामायिक करने से एक आयंबिल का फल मिलता है । चरवला : चारु, वालक, सुंदर रीत से जो मन को मोड़ता है खण्डन-मंडन ग्रंथ: यशोविजयजी म. ७ शाष्टांग प्रणाम:-स्थान अधिक रोकता है तथा ज्यादा वायुकाय जीवों की हिंसा होती है। पंचांग प्रणाम किया जाता है । भाव वीर्य - द्रव्य वीर्य उत्थान की ओर ले जाता है । अंगुली, चक्षु, पैर की अंगुलियों में से शक्ति का प्रवाह होता है । * विधि शुद्धि: 1. सबसे कम से कम चक्षुओं से, शक्तियों का प्रवाह होता है । उससे अधिक हाथ की अंगुलियों में से शक्तियों का प्रवाह होता है । सबसे अधिक पैरों की 10 अंगुलियों में से शक्तियों का प्रवाह होता है । इसलिए पूजा पैर से शुरू की जाती है । 2. जिसके गुण प्राप्त करना हो उसके चक्षु एवं चरण का संधान (Cosmic Relation) होता है । इस हेतु भगवान के चरण के बाएँ पैर एवं बाएँ अंगूठे की प्रथम पूजा होती है । प्रभु द्वारा प्रणीत 3 मुख्य बातें प्रथम 1. परलोक है - 2. संसार दुःखरूप है - 3. मोक्ष प्राप्ति हेतु पाँच महाव्रतों एवं त्यागमय जीवन जीना चाहिए । समस्त तीर्थंकर परमात्मा ने किसका मुख्य उपदेश दिया है ? (1) सर्वत्याग - सर्वविरति का। संसार के सुख भोगने के बाद भी आत्मा के लिए यह हितकारी नहीं है । (कंचन, कामिनी, काया, कुटुंब के सुख) (2) जो सर्वविरति के लिये सामर्थ्य नहीं हो तो देशविरति लेना चाहिए । 24
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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