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________________ २७०७090909009009009090050७०७09090090909050७०७090७०७७०७०७ नमस्कार महामंत्र * सर्वोपरि स्थान पर विराजित अति महत्व का पवित्रतम मंत्र है, शक्तिशाली श्रेष्ठ मंत्र है, शाश्वत मंत्र है। * 4 आगमिक नाम :1. श्री नवकार महामंत्र 2. नमस्कार महामंत्र 3. श्री पंचपरमेष्ठिमहामंत्र 4. पंचमंगल महाश्रुतस्कंध * 9 पद एवं 8 संपदा है। * 68 अक्षर 68 तीर्थ समान है। * 68 अक्षरों में 7 गुरु एवं 61 लघु अक्षर हैं। * प्रत्येक अक्षर पर 1008 विद्या देवियाँ निवास करती हैं। * प्रथम पांच पद में पंच परमेष्ठि भगवंतों का समावेश है । जगत में इन पांच पदों से श्रेष्ठ कोई पद है ही नहीं । यह पांचों पद व्यक्तिवाचक पद नहीं है, गुणवाचक पद हैं, इसलिए सनातन हैं। + नवकार मंत्र का एक अक्षर सात सागरोपम के पापों का नाश करने में समर्थ है। धर्म का बीज पूज्य हरिभद्रसूरिजी म.सा. ने कहा है कि जब तक जिनेश्वर प्रभु का वचन सत्य है, ऐसी श्रद्धा हृदयस्थ न हो जाए तब तक आत्मा आगे बढ़ नहीं सकती । इसे ही धर्म का बीज कहा है। नवकार मंत्र कब फलता है ? मन में किसी प्रकार की गांठ न हो तो ही नवकार मंत्र फलता है। मन में गांठ हो तो वह किस प्रकार जानकारी होती है ? जब जब हमें अनुकूलता में रहना ही प्रिय लगे और प्रतिकूलता अप्रिय लगे अर्थात् कि मन में गांठ रह गई है । सहन शक्ति बढ़ाने से गांठ ढीली पड़ती है । इस हेतु जीवन में 50@G©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®© 20 90GOG©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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