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________________ GOOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOG@GOGOG@GOGOGOGOGOGOG 12. देवलोक में भी पुस्तकें होती हैं, 'पुस्तकें रत्न की ओर पुढे-रिष्ट रत्न के, बांधने के डोरे सोने के, कागज-अंक रत्न के, स्याही-रिष्ट की, कलम-वज्र की, अक्षर-रिष्ट रत्न के। पुस्तकें शाश्वत होती हैं (जीवाभिगम सूत्र) 13. महावीर प्रभु का केवलज्ञान : एक्स-रे से भी सूक्ष्म । मानव, स्त्री के उदर में उत्पन्न जीव गर्भ में अधिक से अधिक 24 वर्ष जी सकता है, कम से कम अंतर्मुहुर्त । तिर्यंच नारी (मादा पक्षी-पशु) के उदर में उत्पन्न जीव गर्भ में उ. 16 वर्ष । एक बालक के 1 भव में अधिक से अधिक प्रत्येक 100 पिता हो सकते हैं (लगभग 900) और एक पिता के एक भव में उत्कृष्ट प्रत्येक लाख पुत्र हो सकते हैं (भगवती सूत्र : शा.1) 14. चक्रवर्ती सम्राट :- 6 खंड के स्वामी, संपूर्ण भरत क्षेत्र के अधिपति, देवलोक के 16,000 देव उसके अधिनस्थ, 64000 रानियाँ, 32000 मुकुट बंध राजा के स्वामी, 84 लाख हाथी, 84 लाख घोड़े, 96 करोड़ पैदल सेना, 9 निधि, 14 रत्नों के स्वामी, इसीलिए इनको नरदेव कहा जाता है । (जंबूद्वीप पन्नति सूत्र) 15. चक्रवर्ती के 14 रत्नों का वैभव :- चक्र रत्न रथ के पैये जैसा, नाभि वज्र की, और आरा लोहिताक्ष रत्न के, परिधि-जांबुनंद रत्न की 1000 यक्ष देवों से अधिष्ठित । चक्रवर्ती के कुल के अतिरिक्त, अन्य किसी पर फेंका जाए तो सिर छेदन कर के ही पुन: आता है। आकाश में चलता है, खंड साधने का मार्ग बताता है । (जंबू द्वीप पन्नति सूत्र) 16. तीर्थंकर परमात्मा का जन्माभिषेक, शकेन्द्र आदि 64 इन्द्र, भगवान को गोद में बैठाकर स्नान कराते हैं । एक शक्रेन्द्र महाराज स्वयं के एक भव में असंख्य तीर्थंकरों का जन्माभिषेक करते हैं । (जंबूद्वीप पन्नति सूत्र) 17. अच्छेरा :- मल्लिनाथ भगवान स्त्री तीर्थंकर हुए । ऐसे अच्छेरे भूतकाल में अनंत बार हुए हैं । स्त्री तीर्थंकर भी अनंत बार हुए और अनंत युगलिक आयुष्य पूर्ण कर नरक में गए। (ठाणांग सूत्र : स्था. 10.) 18. मनुष्य कम से कम 2 माह के आयुष्य वाला ही नरक में जाता है (भगवती सूत्र : श.24) 50505050505050505050505000445900900505050505050090050
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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