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________________ गीतार्थ द्वारा दोष की शुद्धि हो जाएगी, वह दोष एवं उस विषयक अज्ञान दोनों दूर हो जाएंगे। ज्ञान को समर्पित हो जाने से ज्ञान प्राप्त होगा । शुद्ध ज्ञान से वक्रता सहज रूप से दूर हो जाती है। ऐसा सरल, ऋजु आत्मा शुद्धि के योग्य है, उसी को चित्त शुद्धि मिल सकती है। अन्य दर्शनों में बताया है कि चित्तशुद्धि, मूलाधार चक्र से लेकर सहस्त्रार चक्र तक सातों चक्रों को गति देता है । शरीर के ये चक्र गतिमान होते हैं या नहीं इनको वेग मिलता है या नहीं किन्तु चित्तशुद्धि से मोक्ष के प्रति की बाह्य और आभ्यंतर दोनों, मूल आधार-शुभ अध्यवसाय स्वतः शुभ सामग्री दोनों वेगयुक्त होकर आ मिलती है । सरल बनकर चित्त की विशुद्धि कर अपनी आत्मा शीघ्र परमपद प्राप्त कर सिद्धशिला में स्थान ग्रहण करे ऐसी प्रार्थना । कितने का शरण लिया ? आगम को जानो : सूयगडांग सूत्र कितनों का शरण लिया, पर न लिया एक अरिहंत का । कहीं सांप्रदायिक झगड़ा हो गया, तुम कहीं फंस गए, तुम्हारे चारों ओर आधा पौन किलो मीटर का रास्ता ऐसा है कि तुमको यदि कोई देख ले तो जला डाले, काट डाले, मार डाले, बचने की कोई स्थिति नहीं है और ऐसे में कोई सज्जन मिल जायें, चाहे वो उसी जाति का हो परन्तु तुमको विश्वास हो जाए कि ये मुझे बचा लेगा, भाई मुझे बचा लो, उसको दया आ गई और उसने कह दिया चलो आ जाओ, लेकिन यदि किसी ने तुझे देख लिया तो तुझे भी मारेगा, मुझे भी मार डालेगा । ये देख भोयरा है, इसमें अंदर उतर जा । बहुत दिनों से बंद वह भोयरा ( तलघर ) न खिड़की न द्वार, न वेंटिलेशन, अंधेरा घुप्प, चामचिड़ियों के घर हों, भयंकर बदबू आ रही हो, दिन में एक बार खाने का देकर चला जाए, ऐसा भोयरा हो फिर भी तुम उसमें उतरोगे न ? क्योंकि 374
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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