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________________ २७०७090909009009009090050७०७09090090909050७०७090७०७७०७०७ 360 361 362 367 368 369 372 373 374 376 विभाग - १२ जिन आगम तारे - भव पार उतारे - 'श्रद्धांध' का स्तवन : 'तारा' विना मारूं जीवन अधुरुं - जिन आगम के बारह अंग - बारह अंगों की संक्षिप्त जानकारी - आगम में मोक्ष मार्ग का निर्देश आत्मा के आठ भेद माकंदी पुत्र अणगार के प्रश्न - अध्ययन, आध्यात्म, श्रुतज्ञान - आज की बात 'चित्तशुद्धि' - कितनों के शरण स्वीकारें ? भगवती सूत्र : आगम का पांचवा अंग इन्द्रियों, मतिज्ञान, छः द्रव्य, कूटस्थ सम्यक्त्वी जीव, भवांतर निह्नववाद आत्मा के सात अद्भुत विशेषण, कर्म प्रकृति-आठ प्रकार से कर्म बंधन, कर्म आदि, कर्म की विविध अवस्थाएँ वेदना एवं निर्जरा, 'प्रमाद' के आठ प्रकार क्रिया के पांच प्रकार, कांक्षा मोहनीय कर्म, हँसना अच्छा या खराब ? पृथ्वीकाय, वायुकाय, वनस्पतिकाय, निगोद अल्प एवं लम्बे आयुष्य का कारण जीवों का आहार, छद्मस्थ जीव शुभाशुभ पुद्गलों एवं नियाणा जयंति श्राविका के प्रश्न जीव के निकलने के पांच रास्ते - विवेक आदि दर्शनवाद की चर्चा - प्रशस्त क्षेत्र, तिथियाँ 408 413 415 90909090090909090509090900359909090909090905090900909090
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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