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________________ ©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©® 3. जिस प्रकार राख प्राप्त करने के लिए रुपए/डॉलर की नोटो को जला देना मूर्खता है, उसी प्रकार सुकृत के बदले में वाह-वाह से संतोष मानना यह अहम् का पोषण करने के बराबर है। 4. जिस प्रकार मक्खन के लिए पानी का मंथन करे वह मूर्ख है, उसी प्रकार इस भव में प्रसन्न स्वस्थ रहने के लिए नए-नए उपकरण बसाने की दौड़ जैसी मूर्खता है। सुभाषित प्रबुद्ध जीवन मासिक, पर्युषण अंक __सितम्बर-अक्टूबर 2012 आचारांग के सुभाषित वाक्य :* अट्टे लोए - मनुष्य पीड़ित है। * खणं जाणाहि पंडिए - पंडित, तु क्षण को समझ, Time is Precious. * सव्वेसिं जीवियं पीयं - सभी को जीवन प्रिय है। * णत्थि कालस्सणा गमो - मृत्यु किसी भी क्षण आ सकती है। * जे एग्गं जाणाई से सव्वं जाणाई - जो एक को जानता है वह सभी को जानता है । * जे सव्वं जाणाई से एग्गं जाणाई - जो सभी को जानता है वह एक को जानता है। * सव्तो अमत्तस्स णत्थि भयं - आप्रमादी को किसी भी प्रकार का भय नहीं। * तमेव सच्चं णिसेकं जं जिणेहं पवेईयं - जिनेश्वर प्रणीत तत्व ही सत्य है, उसमें शंका करना नहीं। ७०७७०७00000000000355509090050505050505050605060
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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