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________________ UGGGGGGGGGGGGGG संपत्ति मिले पर अजीर्ण न हो, इन्द्रिय सुख तुच्छ लगे, अंधानुकरण न करें। देव-गुरुधर्म के प्रति आदर हो । स्वभाव शांत हो, दृष्टि में आमूल परिवर्तन । पेथड़ शाह, कुमारपाल, जगड़शा, शालिभद्र।पाप के अनुबंध वाला जीव । जिसकी खबर है - उसह की खबर नहीं। * संसार सुख में रच बस जाना। * जहर चढ़ जाय उसे नीम भी मीठा लगता है । उसी प्रकार मोह का जहर चढ़ने पर संसार के भोग सुख विपाक से कड़वा होते हुए भी मीठा लगता है। * अंधानुकरण करना, देखा देखी क्रिया, अधिकरण के प्रति आकर्षण होना। * परलोक की चिंता रहित जीवन । पाप के अनुबंध को तोड़ने और पुण्य के अनुबंध को जोड़ने का उपाय ‘दुष्कृत गरे (अकरार) और सूकृत अनुमोदना' खामेमि : मैत्री भाव चंदन बाला, मृगावती मिच्छामि : स्वदोष दर्शन महाराजा रावण, रथनेमि वंदामि : अहं को दूर करना बलराम और मृग, सूरदास, मीराबाई, नरसिंह मेहता। इसको खामेमि त्रिक कहते हैं । मैं सर्व जीवों को खमाता हूँ - खामेमि मेरे सभी दुष्कृत्य मिथ्या हों - मिच्छामि सुदेव, सुगुरु, सुधर्म द्वारा कहा गया धर्म - वंदामि तीर्थंकरों को मेरा कोटि-कोटि वंदन हो जो । खामेमि त्रिक से मृत्यु धन्य बन जाती है । मृत्यु महोत्सव बनती है । परलोक सुधर जाता है और परम्परा से परम पद प्राप्त होता हैं। खामेमि, मिच्छामि, वंदामि । वीर्यांतर का क्षयोपशम जागृत हो यही प्रार्थना है। ___ सर्व मंगल मांगल्यं .......... 50505050505050505050505000245900900505050505050090050
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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