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________________ सर्वरोग निवारिणी (राग :- दरबारी) पद्मावती देवी तमे छो, सर्व रोग निवारिणी । पार्श्व प्रभुना यक्षिणी छो, सम्यग्दृष्टि धारिणी । सर्वरोग निवारिणी .... वर्ण ॐ ह्रीँ जोड़ी ने जपतां, पार्श्व प्रभुना धारीणी । अनुपम प्रभाव प्रवर्ते तमारो, मन वांछित फल दायीनी । सर्वरोग निवारिणी भीना भावथी ध्यान धरे तम, पामे लब्धि दुःख वर्जननी । 'श्रद्धांध' चहे अमी आशीषनां, आश तमारा दर्शननी ..।। सर्वरोग निवारिणी 卐卐卐 'उगे समकित भाण' 'साधर्मिक भक्ति करतां, थाए उभय कल्याण, जिन आज्ञा ने सेवतां, उगे समकित भाण ॥ ... Car में प्रात: Office जाते हुए मन में भाव उमड़े और लिखा गया 209 “श्रद्धांध”
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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