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________________ १ उपयोग मन गतिशील स्वभाव वाला है । उपयोग मन सपाटी है (Surface) It is lika a computer screen what you see is not all what computer has in it. लब्धि मन अधिक गहराई वाला उड़ने वाला है । विचार आदि का Store house है । गहरे उपयोग मन से कई गुना विशाल है । लब्धिमन - भावमन का तल (Bottom) है । I मन का अध्ययन सपाटी अर्थात् उपर से नहीं अंदर की गहराई से करना । जीवन निमित्त के अधीन है । (प्रसन्नचन्द्र राजर्षि के उदाहरण से इसे स्पष्ट समझा जा सकता है । अपने वातावरण या संयोगों से पर नहीं बने किन्तु निमित्त के द्वारा पर बने हैं) जिन निमित्तों से पर हुए वह समता से ही हो सकते हैं । गलत निमित्तों का असर अधिक होता है और अच्छे निमित्तों का प्रभाव कम अनुभव होता है । धर्म की सफलता असफलता का आधार तुम्हारी मनोवृत्ति पर है । शालिभद्र ने दान देकर फल प्राप्त किया वह सफलता मध्यम थी । जीरण सेठ ने सुपात्रदान का उत्कृष्ट फल प्राप्त किया । वह मोक्ष जाने वाला जीव है । अभिनव सेठ का दान निष्फल गया । सुपात्र दान का फल किंचित भी नहीं पा सका । मम्मण सेठ का दान विपरीत हुआ । लब्धिमन :- आध्यात्म की साधना द्वारा लब्धिमन का पूर्णत: परिवर्तन करना है । ये 1 परिवर्तन लाने के लिए सपाटी का उपयोग मन की गतिशीलता के प्रवाह को संभालना पड़ेगा । चाहे जहाँ आकर्षित होकर जाए तो उसे वहां न जाने देना । व्यर्थ विचार न करना, न बोलना, न व्यर्थ कोई काम करना । मन का अभ्यास करो । सामायिक से सपाटी शुद्ध होती है । किन्तु लब्धिमन के कचरे को शुद्ध करना जरुरी है इसलिए क्रिया भावुक होना चाहिए । सिर्फ पैसे के विचार से कर्मबंध नहीं होता । 24 घंटे तुम्हारे अच्छे बुरे विचारों का मूल्यांकन करो। फिर तुमको ही हंसी आएगी तुम्हारे मन की गति असावधानी वश कहां जा रही है, यह मालूम पड़ेगी। अच्छे विचारों के बाद बुरे विचार आते हैं और बुरे के बाद अच्छे । यह तुम्हारे अंदर की वृत्तियाँ से ही आभारी हैं । प्रसन्नचन्द्र राजर्षि के दृष्टांत से यह पूर्ण समझ में आ जाता है । 177
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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