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________________ शासन प्रभावक, मालव केसरी, महाराष्ट्र विभूषण, प्रसिद्ध वक्ता परमश्रद्धेय पूज्य गुरुदेव श्री सौभाग्यमलजी म.सा. के सुशिष्य श्रमण संघीय प्रवर्तक, सौभाग्यकुल दिवाकर, जिनशासन रत्नाकर, मालवा शिरोमणी, पूज्य गुरुदेव श्री प्रकाशमुनिजी म.सा. 'निर्भय' अभिमत अनुमोदना _ 'श्रुत भीनी आँखों में बिजली चमके' श्रुत-ग्रंथ देखा | प्रस्तुत ग्रंथ में श्रुताराधक श्री विजय भाई दोशी की स्वाध्याय रूचि अनुप्रेक्षा का गहराई एवं संकलन की विशिष्टता स्पष्ट परिलक्षित हो रही है । भौतिक समृद्धि के बीच रहकर भी आध्यात्मिक लगन होना, वह भी जिनदेव व जिनवाणी के प्रति, यह निश्चित ही सम्यक् दर्शन की अनुभूति करा रही है। इसे मैं श्रद्धांध' न कहकर श्रद्धालोक' कहूँगा | क्योंकि जब सम्यक्दर्शन की बिजली चमकती है अन्तरनैनों में तब अहोभाव से वे भर जाते हैं। प्रस्तुत ग्रंथ जिनवाणी' को गहराई से समझने के लिए एक सुदृढ़ आधारभूत है । इसमें जिनागमों की वाणी के साथ अन्यान्य विशेष श्रुत ग्रंथों से न केवल विशेष प्रसंगों का संकलन किया गया है अपितु विजयभाई दोशी के नवचिन्तन का नवसर्जन भी है, जिसे सरल व सहज रूप में समझाजा सकता है। और सम्यक् ज्ञान का परिबोध पाया जा सकेगा। हमारे संघ की विशिष्ट साध्वी श्री चन्दनबालाजी म.सा. की बहन सौ. मधुजी एवं श्री पदमजी धाकड़ हिन्दी संस्करण प्रकाशन के प्रमुख लाभार्थी बनकर 'श्रुतसेवी' बन रहे हैं, उन्हें साधुवाद! श्री दोशीजी के प्रति यही भावना कि विशेष अनुप्रेक्षी बनकर, श्रुताराधक होकर कर्मक्षयी बनें । सम्यक्त्रयाराधक बनें। बदनावर के दृढ़धर्मी श्री समरथमलजी नाहर के सुपौत्र श्री रवि नाहर ने मुझे यह 'अभिमत-अनुमोदना लिखने को प्रेरित किया, साधुवाद ! - मुनि प्रकाशचन्द 'निर्भय'
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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