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________________ ©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®OGOG * चार लाख श्लोक प्रमाण साहित्य का मर्म एक ही श्लोक में : शरीरशास्त्र, धर्मशास्त्र, नीतिशास्त्र एवं कामशास्त्र । चार शास्त्रों का सार :* खाया हुआ हजम ना हो, पचे नहीं तब तक खाना नहीं। * जीवों पर दया करना, दयालु बनो। * राजनीति में किसी का विश्वास करना नहीं, सगे पुत्र या पिता का भी नहीं। * कामशास्त्र : स्त्री के साथ कठोर व्यवहार करना नहीं, जितनी मृदुता रखो उतनी ही वह वश में रहे । स्त्री को भी पुरुष के साथ इसी प्रकार वर्तन करना। * दुःख से छूटना इतना कठिन नहीं जितना सुख से छूटना कठिन है। * आपके पास छोड़ने के लिए कुछ भी नहीं, इतना बड़ा सौधर्मेन्द्र आपके यहां अवतरण हेतु (देव में से मानव भव पाने के लिए) 32 लाख विमान की संपदा छोड़ने के लिए तैयार है। * याद रहे, हमारा यह अवतार अत्यधिक कीमती है, बहुत सहन करने के पश्चात् मिला है। * जानने की जिज्ञासा, सम्यग् ज्ञान-जिज्ञासा की प्यास आपको वीतराग वाणी के सरोवर के समीप ले जाती है। * कमजोरी एवं कायरता अलग-अलग बाते हैं। आप कायर न बनना, प्रभु ने कैसे कैसे तप किए ? तप के बिना मुक्ति नहीं । तप की आदत डालो। * वाह कैसी सुंदर बात ? असंख्य इन्द्र एकत्रित होकर जो नहीं कर सकते वह एक अदना आदमी कर सकता है। ऐसा तुम्हें परम सौभाग्य मिला है। * प्रायश्चित, विनय, गुरुभक्ति, स्वाध्याय, ध्यान आदि कर आत्मा को निर्मल करना । तप को भूलना नहीं। * पैसा बढ़ने से क्लेश, रोग, अविश्वास और विवाद बढ़ते हैं । कोई न कोई चिंता अवश्य खड़ी होती है, अत: पैसे को कल्याण के मार्ग पर सदुपयोग करना। * परदोष देखना सरल है परन्तु स्वयं के दोषों को समझना कठिन है। GUJJJJJJJJJ 8 MUSCUJUS
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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