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________________ GOOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGO®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®OGOGOGOGOGOG सर्वविरति साधु धर्म भी समझ में आएगा । सत्य जीवन जीने की कला हाथ में आ जाएगी। दुनिया देखती रह जाएगी और तुम साहिल किनारे पर पहुँच जाओगे । स्वयं पर विश्वास रखो।थोड़ा भी करोगे तो बहुत पाजाओगे। लाखो करोड़ों वर्षों के पश्चात्, जैन कुल में संयोग हुआ है, सुन्दर अवसर मिला है। जीवन कल पूर्ण हो जाएगा। इस जीवन को खो देंगे तो पछताना ही पड़ेगा । जीवदया आत्मा के कोने-कोने में, प्रदेश-प्रदेश तक पहुंचा देना, बच जाओगे। धर्म के सिद्धांतों एवं अनुप्रेक्षा Reflections-Introspection दुनिया में किसी के साथ हृदय का गाढ़ संबंध तब ही बंधता है कि जो मूल रूप में उस पर, अन्य किसी पर ना हो ऐसा अनन्य प्रेम, बहुमान एवं श्रद्धा होवे । इसलिए भगवान पर हम सभी को अथाग, अनन्य, प्रेम, बहुमान, श्रद्धा जगती है। चाहे जैसे आज के कष्ट, दुःख, आपत्ति के समय भी मन मस्त रहे कि मुझे किस बात की परवाह या कमी है ? मेरे तेरे साथ का संबंध भवोभव का है । कष्ट यह तो मेरे पूर्व के पापकचरा साफ कर रहे हैं । सुख करते दुःख आशीर्वाद रुप बन जाए । तब ही तो मेरा अनन्य संबंध-श्रद्धा साथ देती है। अल्प भी मन में कमी न रखते हुए हुए सहर्ष सहनशीलता द्वारा दुष्कृत गर्दा हो जाए, सुकृत नी अनुमोदना जीव को शांत रस का पान कराती है । कैसा सुन्दर मौका मिल गया । Opportunity at my Door Step । लक्ष्मी कुमकुम से तिलक करने हमारे द्वार पर आई हो तब मुख धोने कौन जाता है ? बस यही उत्कृष्ट भाव दुःख को हल्का करता है। अनुमोदना शुद्ध हो तो उछलता भक्तिभाव एवं सहनशीलता का अनुभव हुए बिना नहीं रहता है । दोषों पर घृणा होगी तब ही गुणों की सच्ची अनुमोदना हो सकेगी। समर्पण भाव में अनुभव एवं गुणों का साक्षात्कार होते ही अनुमोदना स्व में ऐसे ही भावों की वृद्धि करती है। ७०७७०७000000000007709090050505050505050605060
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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