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________________ ऋषि भाषित प्रत्येकबुद्धभाषितानि ऋषिभाषितसूत्राणि ...... अध्ययन-[३५], ........मूलं [१] / गाथा [१-१९] ...... मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित (पूर्वकाले आगमरूपेण दर्शित:) "ऋषिभाषित-सूत्राणि"-मूलं । [३५] 'अद्दालईज्ज' अध्ययनं (वर्तते) प्रत सूत्रांक [१] गाथा ||१-१९|| चत्तार य कसाया ॥ १४॥ जागरह परा निच्च मा मे धम्मचरणे पमत्ताणं। काहिति यह चोरा दोगतिगमणे हिटाकर्म ॥१५॥ अपणायकमि भट्ठालकस्मि जग्गंत सोयणिज्जोऽसि । णाहिसि वणितो संतो, ओसहमुल्ल अधिदतो ॥ १६॥ जागरह णरा जिच्च जागरमाणस्स जागरति सुतं । जे सुवति न से सुहिते, जागरमाणे सुही होति ॥ १७॥ आगरत' मुणि वीर, दोसा काजे ति दूर ओ। जलंत जाततेयं वा, चक्खुसा दाहभीरुणो ॥ १८॥ एवं से सिद्ध०॥ ३५॥ अदालइजज्झयण ॥ ३५ ॥ -----x-----x-----x-----x----- दीप अनुक्रम [३८७४०६] ~49~
SR No.007208
Book TitleRushibhaashit Sootraaani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages67
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_anykaalin
File Size24 MB
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