SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ऋषि भाषित प्रत्येकबुद्धभाषितानि ऋषिभाषितसूत्राणि ......... अध्ययन-[२४], .........मूलं 1 / गाथा - ......... मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित (पूर्वकाले आगमरूपेण दर्शित:) "ऋषिभाषित-सूत्राणि"-मूलं [२४] 'हरिगिरि अध्ययनं (वर्तते) प्रत सत्राक मडझय २५ [१] गाथा || बेसई । छिपणकण्णो जहा कोई , हसिज्जा छिन्ननासियं ॥३३॥ मोहोदई सय जंतू, मंदमोहं तु खि'सई। हेमभूमणधारिया, जहा | ऋषिभाषि लक्खाविभूसणं ॥३४॥ मोही मोहीण मझमि , कोलए मोहमोहिओ। गहीणं व गही मज्झ , जहत्थं गहमोहिओ ॥ ३५ ॥ बंधता निजरता य, कम नाणंति देहिणो । वारिग्गाहघडोउथ्य , घडिज्जतनिबंधणा ॥ ३६॥ बज्झए मुच्चए चेव , जीवो वितण कामुणा । बदो दा रज्जुपासेहिं , ईरियन्तो पओगसो ॥३७॥ कामरस संतई चित्तं , सम्म नच्चा जिईदिए । कम्मसंताणमोक्खाय , समाहिमभिसंधए ॥ ३८॥ दव्यओ खेतओ चेव , कालो भावओ तहा। निच्चानिच्चं तु विण्णाय , संसारे सव्वदेहिणं ॥३६॥ निच्चलं कयमारोग्ग', थाणं तेलोकसाय'। सव्वष्णुमगाणुगया , जीवा पावंति उत्तम ॥४०॥ ॥ एवं सि बुद्ध विरए विपाये॥२४ ।। हरिगिरिणामझयणं ॥२४॥ --- x --- x---x --- x--- x--- ||१-४१|| दीप अनुक्रम [२३६२७७] ~35~
SR No.007208
Book TitleRushibhaashit Sootraaani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages67
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_anykaalin
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy