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________________ प्रकाशकीय ... डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल की नवीनतम कृति ४७ शक्तियाँ और ४७ नय को प्रकाशित करते हुए हमें प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। यद्यपि यह कृति डॉ. भारिल्ल कृत समयसार की ज्ञायकभावप्रबोधिनी टीका और प्रवचनसार की ज्ञानज्ञेयतत्त्वप्रबोधिनी टीका के परिशिष्टों के ही अंश हैं; तथापि इस रूप में यह एकदम नई कृति है। आध्यात्मिकसत्पुरुष श्री कानजी स्वामी के प्रभावना योग से समयसार की आत्मख्याति के परिशिष्ट और प्रवचनसार की तत्त्वप्रदीपिका टीका के परिशिष्ट में समागत ४७ शक्तियों और ४७ नयों की चर्चा आज जन-जन की वस्तु बन गई है। सभी आत्मार्थी बंधु इनके संबंध में बहुत कुछ जानना चाहते हैं; किन्तु समयसार और प्रवचनसार की अबतक हुई टीकाओं में इनका निरूपण कुछ ही पृष्ठों में अत्यन्त संक्षेप में है और स्वामीजी के प्रवचनों में अत्यधिक विस्तार है। ४७ शक्तियों पर हुए प्रवचन आत्मप्रसिद्धि नाम से ७०० पृष्ठों में और ४७ नयों पर हुए प्रवचन नयप्रज्ञापन नाम से ४०० पृष्ठों में हैं। इसप्रकार ११०० पृष्ठों का पढना हर किसी को संभव नहीं है और अति संक्षिप्त कथन से भी बात स्पष्ट नहीं हो पाती। अत: डॉ. भारिल्ल कृत टीकाओं में मध्यममार्ग के रूप में १२३ पृष्ठों में इनका प्रतिपादन अत्यन्त सरल भाषा और सुबोध शैली में हुआ है। समयसार और प्रवचनसार जैसे विशाल (मोटे) ग्रंथों को प्रवास में पढना संभव नहीं है। प्रवास के समय का सदुपयोग हो, तदर्थ इस रूप में इनका प्रकाशन उपयोगी सिद्ध होगा। यदि आत्मार्थी पाठकों को इस प्रयास से थोड़ी भी सुविधा हुई तो हम अपने श्रम और इस प्रयास को सफल समझेंगे। हमें विश्वास है कि पाठक इस कृति का उपयोग अपने आत्मकल्याण की भावना से अवश्य करेंगे और इसके स्वाध्याय से उन्हें आशातीत लाभ होगा। ___ आकर्षक मुखपृष्ठ एवं छपाई के कार्य के लिए श्री अखिलजी बंसल, टाईप का आकर्षक उपयोग के लिए श्री दिनेशजी शास्त्री एवं कीमत कम करने में सहयोग देनेवाले दातारों को हम धन्यवाद देते हैं। दिनांक २० मार्च २००८ ई. - ब्र. यशपाल जैन, एम.ए. प्रकाशन मंत्री, पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर
SR No.007195
Book Title47 Shaktiya Aur 47 Nay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherPandit Todarmal Smarak Trust
Publication Year2008
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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