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________________ અનુભવ સંજીવની ૫૧૫ श्री वीतराग सत्साहित्य प्रसारक ट्रस्ट उपलब्ध प्रकाशन (हिन्दी) ग्रंथका नाम एवं विवरण मूल्य ८.०० १७.०० ६.०० ६.०० स्वाध्याय १५.०० ४.०० ८.०० श्री जिणसासणं सव्वं (ज्ञानीपुरुष विषयक वचनामृतोंका संकलन) २. श्री द्रव्यदृष्टि प्रकाश (तीनों भाग) पू. श्री निहालचंद्रजी सोगानीजीके पत्र व तत्त्वचर्चा ३. श्री दूसरा कुछ न खोज - प्रत्यक्ष सत्पुरुष विषयक वचनामृतोंका संकलन ४. श्री दंसणमूलो धम्मो - सम्यक्त्व महिमा विषयक आगमोंके आधार ५. श्री निभ्राँत दर्शनकी पगडंडी - ले. पू. भाईश्री शशीभाई ६. श्री परमागमसार - (पू. गुरुदेवश्री कानजीस्वामीके १००८ वचनामृत) ७. श्री प्रयोजन सिद्धि - ले. पू. भाईश्री शशीभाई श्री मूलमें भूल - पू. गुरुदेवश्री कानजीस्वामीके विविध प्रवचन ९. श्री विधि विज्ञान - विधि विषयक वचनामृतोंका संकलन १०. श्री सम्यक्ज्ञान दीपिका - ले. श्री धर्मदासजी क्षुल्लक ११. श्री तत्त्वानुशीलन (भाग १-२-३) ले. पू. भाईश्री शशीभाई १२. श्री अनुभव प्रकाश - ले. दीपचंदजी कासलीवाल श्री ज्ञानामृत - श्रीमद् राजचंद्र ग्रंथमेंसे चयन किये गये वचनामृत १४. श्री मुमुक्षुता आरोहण क्रम - श्रीमद् राजचंद्र पत्रांक - २५४ पर प. भाईश्री शशीभाई के प्रवचन १५. सम्यग्दर्शनके सर्वोत्कृष्ट निवासभूत छ: पदका अमृत पत्र श्रीमद् राजचंद्र पत्रांक - ४९३ पर पू. भाईश्री शशीभाईके प्रवचन १६. आत्मयोग - श्रीमद् राजचंद्र पत्रांक - ५६९, ४९१, ६०९ पर पू. भाईश्री शशीभाईके प्रवचन १७. परिभ्रमणके प्रत्याख्यान - श्रीमद् राजचंद्र पत्रांक - १९५, १२८, २६४ पर पू. भाईश्री शशीभाईके प्रवचन ३.०० १५.०० २०.०० ५.०० ६.०० १८.०० २०.०० २०.००
SR No.007191
Book TitleAnubhav Sanjivani
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherVitrag Sat Sahitya Prasarak Trust
Publication Year1999
Total Pages572
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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