SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 9
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मनीषियों की दृष्टि में : डॉ. भारिल्ल डॉ. भारिल्ल सिद्धान्तों को पूर्णरूपेण माननेवाले, मनन करनेवाले व अपनी लेखनी में उसको वास्तविक रूप में जीवन्त उतारनेवाले प्रखर मनीषी हैं। 7 अतः आपके लिए मेरे सम्पूर्ण रोम-रोम से व आत्मा से यही आशीर्वाद है कि आप इसीतरह वीतराग प्रभु की वाणी के पठन-पाठन, मनन, चिन्तन, स्वाध्याय व लेखन में प्रयासरत रहें; ताकि सकल जैनसमाज का ही नहीं, अपितु समग्र देश का कल्याण - मार्ग प्रशस्त हो। इसी मंगल कामना व भावना के साथ पुनश्च आशीर्वाद सहित । आचार्य श्री धर्मभूषणजी महाराज ठोस धर्मप्रभावना ( आचार्य श्री समन्तभद्रजी की साधर्मी माणिकचन्दजी भिसीकर, बाहुबली (महाराष्ट्र) से हुई चर्चा का अंश - सम्पादक) पूज्य आचार्य श्री समन्तभद्रजी महाराज ने आपको एवं तत्रस्थ सभी धर्म बन्धुओं को अनेक आशीर्वाद कहे हैं। उन्होंने आपकी पुस्तक 'धर्म के दशलक्षण' समग्र पढ़ी, जिससे वे अत्यन्त आनन्द विभोर हुए। यह पुस्तक बहुत ही अच्छी एवं प्रभावना पर लिखी गई है - ऐसा उन्होंने कहा । ऐसे ग्रन्थ लेखन, प्रवचन आदि द्वारा आप जो ठोस धर्म प्रभावना कर रहे हैं, वह देखकर, पढ़कर उन्हें अतीव सन्तोष होता है। आपकी यह अप्रतिम प्रतिभा तथा विश्लेषण शक्ति ऐसी ही दिनोंदिन विकसित होती रहे - यही सभी की आन्तरिक भावना है। महाराज श्री का आशीष है । आचार्य श्री समन्तभद्रजी महाराज मुनि श्री निर्वाणसागरजी की दृष्टि में कुछ चर्चा के पश्चात् ब्र. यशपालजी की भावना यह जानने की हुई कि मुनिश्री का डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल के प्रति क्या दृष्टिकोण है? इस सन्दर्भ में ब्र. यशपालजी और बाबूलालजी बांझल, गुना की मुनिश्री से हुई चर्चा के प्रमुख अंश यहाँ प्रस्तुत हैं : :
SR No.007144
Book TitleManishiyo Ki Drushti Me Dr Bharilla
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavsaheb Balasaheb Nardekar
PublisherP T S Prakashan Samstha
Publication Year2012
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy