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________________ 33 मनीषियों की दृष्टि में : डॉ. भारिल्ल - इसी क्रम में बड़ामलहरा के श्री अरुणकुमार शास्त्री ने राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा एम.ए. के पंचम प्रश्न पत्र के विकल्प में 'डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल और उनका कथा साहित्य' लघुशोध प्रबंध प्रस्तुत किया है। 120 पृष्ठों की यह कृति 7 अध्यायों में विभक्त है, जिसे डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल चेरिटेबल ट्रस्ट, मुम्बई द्वारा प्रकाशित किया गया है। श्री शिखरचन्द जैन द्वारा राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा एम.ए. के पंचम प्रश्नपत्र के विकल्प के रूप में 'डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल : व्यक्तित्व एवं कृतित्व' लघुशोध प्रबंध प्रस्तुत किया है जो अभी अप्रकाशित है। __सुश्री ममता गुप्ता द्वारा ‘धर्म के दशलक्षण : एक अनुशीलन' लघुशोध प्रबंध तथा नीतू चौधरी द्वारा 'शिक्षा शास्त्रीय परिप्रेक्ष्य में डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल के शैक्षिक विचारों का समीक्षात्मक अध्ययन' लघुशोध प्रबंध इसी क्रम की कड़ी हैं; जो अभी अप्रकाशित है। विश्वविद्यालय स्तर के विद्वानों द्वारा जैन अध्यात्म को डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल का साहित्यिक अवदान विषय पर आयोजित अनेक राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठियों में पठित शोध आलेखों का प्रतिनिधि संकलन है - 'डॉ. भारिल्ल के साहित्य का समीक्षात्मक अध्ययन' है। 252 पृष्ठों में समाहित यह कृति 55 आलेखों से सुसज्जित हैं। जिसका संपादन अखिल बंसल द्वारा किया गया है। पूज्य आ. श्री विद्यानन्दजी के आदेश का निर्वहन करते हुये श्री अखिल भारतवर्षीय दि. जैन विद्वत्परिषद् के तत्त्वावधान में समयसार जैसे दुरुह ग्रन्थ पर अनेक संगोष्ठियों के सृजक आप ही थे। यही नहीं समयसार सप्ताह का अद्भुत आयोजन कर आपने आचार्यश्री का हृदय जीत लिया। आपके द्वारा किये गये इन अद्भुत कार्यों का यदि बेबाक लेखाजोखा किया जाय तो यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि 'आप जैसा कोई नहीं।' __ - अखिल बंसल, जयपुर
SR No.007144
Book TitleManishiyo Ki Drushti Me Dr Bharilla
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavsaheb Balasaheb Nardekar
PublisherP T S Prakashan Samstha
Publication Year2012
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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