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________________ मनीषियों की दृष्टि में : डॉ. भारिल्ल . अध्यापन-शैली के शिखर पुरुष डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल की वाणी में ज्ञान और ओज का मणिकांचन संयोग है। प्रारम्भ में दार्शनिक दुरूहता तथा जटिल वैचारिक गुत्थियों को सरल और सुगम शैली में अभिव्यक्त करने की बेजोड़ कला के कारण वे वस्तुतः जैन साहित्य जगत में पहचान बनने लगे। ___ अपने अध्यात्म साहित्य से इस शैली में उत्तरोत्तर वे सुधार और निखार प्राप्त करते गए और आज वे अपनी सरल-सुगम अध्यापन-शैली के शिखर पुरुष बन गए हैं। - डॉ. महेन्द्रसागर प्रचण्डिया, अलीगढ़ महान उपकार किया है। पूज्य गुरुदेवश्री की दृष्टि में डॉ. साहब का तत्त्वज्ञान के प्रचार-प्रसार में विशिष्ट स्थान है, इसलिए उन्होंने एक बार महावीर निर्वाण महोत्सव के दिन घोषणा की थी कि पण्डित हुकमचन्द का क्षयोपशम बहुत है, उनके . द्वारा धर्मप्रभावना बहुत होगी। ___ यह तो जगजाहिर एवं सर्व-स्वीकृत तथ्य है कि इस युग में पूज्य श्री कानजी स्वामी के पश्चात् डॉ. साहब के द्वारा ही कुन्दकुन्द की वाणी का व्यापक प्रचार-प्रसार हो रहा है। . इसके साथ-साथ अत्यन्त अल्प मूल्य में लाखों की संख्या में वीतरागी सत्साहित्य का प्रकाशन हो रहा है और निरन्तर घर-घर में पहुंच रहा है। डॉ. साहब के रोम-रोम में कुन्दकुन्द की वाणी के साथ अन्य आचार्यों की वाणी भी समायी हुई है। आचार्यों के गम्भीर साहित्य को सर्व साधारण की विषयवस्तु बनाने में डॉ. साहब का महान योगदान है। श्री पूरनचन्द गोदीका द्वारा निर्मित पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर की छवि बनाने में और समस्त संस्थाओं को सर्वोपरि करने में डॉ. साहब का अत्यन्त श्रम रहा है।
SR No.007144
Book TitleManishiyo Ki Drushti Me Dr Bharilla
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavsaheb Balasaheb Nardekar
PublisherP T S Prakashan Samstha
Publication Year2012
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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