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________________ -पाठों में प्रतिष्ठाचार्य को आचार्य शब्द से उल्लिखित किया गया है। प्रश्न 7 - यज्ञनायक, यजमान या प्रतिष्ठाकारक कैसा होना चाहिए? ____ उत्तर - ‘प्रतिष्ठा-प्रदीप' में कहा है – 'न्यायोपजीवी, गुरुभक्त, अनिन्द्य, विनयी, पूर्णाङ्क, शास्त्रज्ञ, उदार, अनपवाद व उन्मादरहित, राज्य व निर्माल्य द्रव्य का हर्ता न हो, प्रतिष्ठा में सम्पत्ति का व्यय करनेवाला, कषायरहित तथा धार्मिक व्यक्ति यज्ञनायक के योग्य होता है।' प्रश्न 8 - प्रतिष्ठाचार्य के क्या लक्षण है? उत्तर - प्रतिष्ठा-प्रदीप के अनुसार – ‘स्याद्वाद-विद्या, में निपुण, शुद्ध उच्चारणवाला, आलस्यरहित, स्वस्थ, क्रिया-कुशल, दया-दान-शीलवान, इन्द्रिय-विजयी, देव-शास्त्र-गुरु भक्त, शास्त्रज्ञ, धर्मोपदेशक, क्षमावान, समाजमान्य, व्रती, दूरदर्शी, शङ्का -समाधानकर्ता, उत्तम कुलवाला, आत्मज्ञ, जिनधर्मानुयायी, गुरु से मन्त्र-शिक्षा प्राप्त, अल्प-भोजी, रात्रि-भोजन का त्यागी, निद्रा -विजयी, नि:स्पृही, परदुःखहर्ता, विधिज्ञ और उपसर्गहर्ता प्रतिष्ठाचार्य होता है।' प्रश्न 9-शान्तिजाप का क्या महत्व है? समाधान - बड़े-बड़े प्रतिष्ठा, विधान आदि के कार्यों की निर्विघ्न-समाप्ति की भावना से शान्तिजाप का आयोजन किया जाता है। इससे जाप में बैठनेवाले को विषय-कषायों से दूर रहने तथा अपनी आत्मा के निकट रहने का अवसर मिलता है। साथ ही जाप में बैठनेवाले को आवश्यक नियम आदि का पालन करना अनिवार्य माना गया है। इसमें निर्दिष्ट मन्त्रों का शुद्ध
SR No.007136
Book TitlePanch Kalyanak Kya Kyo Kaise
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRakesh Jain
PublisherTirthdham Mangalayatan
Publication Year
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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