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________________ जैन धर्म का स्वरूप जाता है, इसे दूषित करते हैं तो इसकी शुद्धता भंग हो जाती है । यह मलिन और अपवित्र बन जाती है। ऐसी अवस्था में किये गये इसके कर्म ही बन्धन में डालकर इसे दुःखी बनाये रखते हैं । इसलिए धर्म का यह मूल प्रयोजन है कि (1) यह आत्मा को पवित्र करे; (2) इसे संसार के दुःखों से छुटकारा दिलाकर ऐसी स्थिति में ला दे जहाँ आत्मा सदा सुखी बनी रहे; (3) इस लोक में और इस लोक के परे भी सर्वत्र और सभी प्रकार से यह आत्मा को सुख प्रदान करे और (4) यह आत्मा को सदा दया भाव से, जो धर्म का मूल है, ओत-प्रोत रखे। इस प्रकार जैनाचार्यों ने धर्म के इन चार सामान्य लक्षणों पर विशेष बल दिया है। जैन धर्म के पहले लक्षण को बताते हुए परमात्मप्रकाश ग्रन्थ में कहा गया है: निजी शुद्ध या पवित्र भाव का नाम ही धर्म है | 4 यही कथन महापुराण' और चारित्रसार' नामक ग्रन्थों में भी पाया जाता है । जैन धर्म के दूसरे लक्षण की ओर संकेत करते हुए प्रवचनसार तात्पर्यवृत्ति में कहा गया है: "मिथ्यात्व और रागादि में नित्य संसरण करने रूप भावंसंसार प्राणी को उठाकर जो निर्विकार शुद्ध चैतन्य में धारण कर दे, वह धर्म है । "7 सर्वार्थसिद्धि और राजवार्तिक' में कहा गया है कि " जो इष्ट स्थान में धारण करता है उसे धर्म कहते हैं ।" इसे और भी अधिक स्पष्ट करते हुए रत्नकरण्ड श्रावकाचार में कहा गया है: "जो प्राणियों को संसार के दुःख से उठाकर उत्तम सुख में धारण करे उसे धर्म कहते हैं। महापुराण 11 में भी यही भाव व्यक्त किया गया है। पंचाध्यायी में इसी बात को इन शब्दों में व्यक्त किया गया है: “जो धर्मात्मा पुरुषों को नीचपद से उच्चपद में धारण करता है वह धर्म कहलाता है। उनमें संसार नीचपद है और मोक्ष उच्चपद है । " 1110 43 जैन धर्म के तीसरे लक्षण की ओर संकेत करते हुए शुभचन्द्राचार्य ने अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ, ज्ञानार्णव में कहा है: “लक्ष्मीसहित चिन्तामणि, दिव्यनवनिधि, कामधेनु और कल्पवृक्ष, ये सब धर्म के चिरकाल से किंकर (सेवक) हैं, ऐसा मैं मानता हूँ ।" 13 तात्पर्य यह है कि सच्चे धर्म का पालन कर जब साधक सर्वोत्तम सुख मोक्ष को प्राप्त कर लेता है तब लोक और परलोक के सभी
SR No.007130
Book TitleJain Dharm Sar Sandesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Upadhyay
PublisherRadhaswami Satsang Byas
Publication Year2010
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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