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________________ जैन धर्म की प्राचीनता 21 अनुसार अन्य-अन्य आचार्यादिक नानाप्रकार ग्रंथादिक की रचना करते हैं। उनका कोई अभ्यास करते हैं, कोई उनको कहते हैं, कोई सुनते हैं। इसप्रकार परम्परा मार्ग चला आता है।' जैन धर्म के अनुसार तीर्थंकर के वचनों को सुनकर जो उन्हें ज्यों का त्यों याद रखता है उसके ज्ञान को द्रव्यश्रुत ज्ञान कहते हैं। पर जो उनके वचनों के केवल भाव, विचार या अर्थ को याद रखता है उसके ज्ञान को भावश्रुत ज्ञान कहते हैं। जैन धर्म के उपदेश को लिखित रूप दिये जाने के पहले द्रव्यश्रुत और भावश्रुत के आधार पर ही जैन धर्म की परम्परा चलती रही है। जैन धर्म में ज्ञान, आचार और धार्मिक पद की दृष्टि से जैन महात्माओं की क्रमशः पाँच श्रेणियाँ मानी जाती हैं: (1) अरहंत (प्राकृत) या अर्हत् (संस्कृत), (2) सिद्ध, (3) आचार्य, (4) उपाध्याय और (5) साधु । केवल इन पाँचों को ही धर्म का उपदेश देने का अधिकार है। इसलिए इन्हीं पाँचों को परम कल्याणकारी, परम पूज्य या परम इष्ट माना जाता है। जैन धर्म में इन्हें ही 'पंचपरमेष्टी' कहते हैं। आचार्यों में जो प्रमुख होते हैं उन्हें गणधर कहा जाता है। एक तीर्थंकर के संसार से जाने और दूसरे के संसार में आने के बीच के समय में ये गणधर, आचार्य, और उपाध्याय ही तीर्थंकरों के उपदेशों को सुरक्षित बनाये रखते हैं। ___ ऐतिहासिक दृष्टि से तिलोयपण्णत्ती नामक जैन ग्रन्थ का विशेष महत्त्व है, क्योंकि इसमें अनेक जैन महापुरुषों के जीवनकाल की तिथियों का उल्लेख है। इस ग्रन्थ के अनुसार चौबीसवें जैन तीर्थंकर महावीर के परिनिर्वाण के दिन ही उनके प्रधान शिष्य गौतम गणधर को केवल ज्ञान प्राप्त हआ। महावीर का परिनिर्वाण-काल ईसा पूर्व 527 माना जाता है। गौतम गणधर को ईसा पूर्व 515 में निर्वाण प्राप्त हुआ और इनके निर्वाण प्राप्त करने के बाद सुधर्मा स्वामी को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई। सुधर्मा स्वामी का निवार्ण ईसा पूर्व 503 में हुआ। सुधर्मा स्वामी के निर्वाण प्राप्त करने के बाद जम्बू स्वामी को केवल ज्ञान प्राप्त हुआ और उनका निर्वाण ईसा पूर्व 465 में हुआ। इस प्रकार गौतम गणधर, सुधर्मा स्वामी और जम्बू स्वामी-यही तीन 'अनुबद्ध केवली' हुए,
SR No.007130
Book TitleJain Dharm Sar Sandesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Upadhyay
PublisherRadhaswami Satsang Byas
Publication Year2010
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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