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की है। उन्होंने “सामायिक" व्रत के संदर्भ में धर्म एवं अध्यात्म के मूल-सूत्रों पर सहज सरल भाषा में लघुकाय भाष्य प्रस्तुत किया है । उनका यह प्रथम प्रयास जन जन के अन्तर्मन में सामायिक संदर्भित आध्यात्मिक जागरण का दिव्य स्वर गुंजायमान करता रहें। यही मेरी मंगल प्रभात की मंगल वेला में मंगल कामना है।
आचार्य शिवमुनि
श्री. एस. एस. जैन सभा वीरनगर, जैन कॉलोनी दिल्ली ११०००७ दि. १० जुलाई, २००१
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