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________________ १०) कायोत्सर्ज तथा धर्मध्यान दाहिनी हथेली को बाएँ हथेली पर रखकर मौन हो जाए । आँखे बंद या अर्धोन्मिलित रखे। रीढ की हड्डी फिरसे सीधी करे । पाँव से लेकर सिरतक पूरे शरीर को शिथिल करे । बाद में ३-४ लंबी श्वास ले और छोडे । बाद में मनको आते जाते श्वास की तरफ देखने को कहिए । साँसजैसे नैसर्गिकरित्या आ रही है और जा रही है, उसको वैसेही देखतेरहना । श्वास के स्पर्श की अनुभूति लेना । मन को यही एक काम करने को कहना है कि, श्वास की तरफ देखता रहे, कोई विचार न करे । फिरभी मन मे विचार और उनके साथ विकार भी आएंगे। उन विचारों को तथा विकारों क साक्षीभाव से देखते जाइए विचारोंसे या विकारोंसे कोइ लडाइ नही, खाली साक्षीभाव रखना । धीरे धीरे मन श्वास पर केंद्रित होते हुए निर्विचार तथा निर्विकार होता जाएगा । मन मे एक अपूर्व शांति प्रकट होगी। करीबन १०-१५ मिनट इस क्रिया को दो । बाद मे मन का लक्ष श्वास से हटाकर आज्ञाचक्रपर यानेकि दोनो भृकुटियोंके बीच में केंद्रित करो । आँखें बंद या अर्धोन्मिलीत रखते हुए तीसरी आँख को दोनो भुकुटियों के बीचमे देखते जाइए। साक्षीभावके साथ मन को पुरी सावधानतासे समग्रता से तीसरी आँखपर एकाग्र कीजिए जैसे ही मन अच्छा एकाग्र हो गया, निर्विचार तथा निर्विकार हो गया उसी वक्त मनमे भावना १९
SR No.007120
Book TitleSamayik Ek Adhyatmik Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Lunkad
PublisherKalpana Lunkad
Publication Year2001
Total Pages60
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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