SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 344
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आदेशः छिन्द छिप्प छु छि)प्प अकारादिवर्णक्रमेण चतुर्थपादान्तर्गता धात्वादेशाः छिव स्पृश् आ+क्रम् जअड जग्ग सानुबन्धः निरनुबन्धः सूत्राधात्वङ्कः |गणः पत्राङ्क | पदम् | अर्थः मुच्छ्रुती मोक्षणे | [अक.] वमन करना, त्याग करना. गिराना । छिदंपी द्वैधीकरणे छिद् [सक.] छेदना, विच्छेद करना। स्पृशंत् संस्पर्श स्पृश् [सक.] स्पर्श करना। छुपेत् स्पर्श ४९४/ परस्मै | [सक.] स्पर्श करना । स्पृशंत् संस्पर्श स्पृश् ४६६/ परस्मै | [सक.] स्पर्श करना । स्पृशत् संस्पर्श [सक.] स्पर्श करना। क्रमू पादविक्षेपे [सक.] आक्रमण करना। क्षिपीत् प्रेरणे [सक.] फेंकना। जित्वरिष् सम्भ्रमे [अक.] शीघ्रता करना। जागृक् निद्राक्षये ४४५/ परस्मै | [अक.] जागना, सावधान होना । यमूं उपरमे ४७४/ परस्मै | [सक.] विराम करना, दान करना । कथण वाक्यप्रबन्धे ४२७/ परस्मै | [सक.] कहना, बोलना । जभुङ् गात्रविनामे [अक.] जंभाई लेना। जनैचि प्रादुर्भावे ४५६ आत्मने | [अक.] उत्पन्न होना । यांक प्रापणे ४३७/ परस्मै | [सक.] काल पसार करना । जनैचि प्रादुर्भावे [अक.] उत्पन्न होना। ज्ञांश् अवबोधने ४२९| परस्मै | [सक.] ज्ञान प्राप्त करना, समझना । जि अभिभवे [सक.] जीतना। भुजंप् पालना-ऽभ्यवहारयोः भुज् [सक.] भोजन करना। जिमू अदने जिम् ४८० परस्मै | [सक.] भोजन करना । जच्छ 11111111111111111 जम्प जम्भा जम्म जव जा जाण जिण जिम जिम्म ७६५
SR No.007102
Book TitleVyutpatti Dipikabhidhan Dhundikaya Samarthitam Siddha Hem Prakrit Vyakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalkirtivijay
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages368
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy