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________________ Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics 626) Pialambajasāhulipā ( ? ) ...... (p. 799) पिअ - लंबज (? लद्धअ ) विहलंघल - साहुलि - पंडराए जहण - भर - मंद-गमणाए । अहिधाविऊण चिफ (? छिप्फो/छित्तो ) पुप्फफलआए (? पुप्फवईआऍ) घण्णो सि ॥ ( प्रिय-लब्ध / विहवलाङ्ग-वस्त्र- पाण्डरया जघन-भर-मन्द- गमनया । अभिधाव्य स्पृष्टः पुष्पवतीकया ( = पुष्पवत्या ) धन्यो ऽसि ॥ ) 627) Nimmariasan dhiam mā ( ? )...... मिविअ - संधिअम्मा ताव अ दूर-पडिबद्ध वम्मह-पसरा । गरुअं सुरउच्छाहं दाऊण सहि व्व जामिणी तीऍ गआ ॥ (निर्मापित सन्धिकर्मा तावच्च दूर - प्रतिबद्ध - मन्मथ - प्रसरा । गुरुकं सुरतो साहं दत्वा सखीव यामिनी तस्या गता ॥ ) 628 ) Olotaammri tuli- - - pidhi (? )...... (p. 799) अतुल [अं], पिआहि गहिअम्मि संभ्रमेण वलइअं । पचिविखअम्मि कथं च, पए (? पिएस) संधिअ-सरं अणंगेण धणुं ॥ ( अवलोकने तुलितं प्रियाभिगृहीते संभ्रमेण वलयितम् । आस्वादिते कृतं च प्रियेषु संधित-शरमनङ्गेन धनुः ॥ ) 629) Jhijjam tijham tehim ( ? ).... 'रज्जति झतेहि पल्लविआ होंति पल्लवंतेहि । गामासण- पलासेहिं पंसुली - हिअअ-सम्भावा ॥ ( कुब्जन्ति शीर्थमानैः पल्लविता भवन्ति पल्लवद्भिः । ग्रामासन्न- पलाशैः पांसुला-हृदय-सद्भावाः ॥ ) 630) Pullamtaniramtarataruna (?)...... (p. 799) फुलंत - निरंतर तरुण - वंजुला वण- सिणिद्ध-कूलाए । गोलाईऍ वसिरी सइत्तिमा पुत्ति पत्तिअसु ॥ (p."799) (p. 800) (फुल्ल न्निरन्तर तरुण वञ्जुल-वन-स्निग्ध-कूलायाः " । गोदानद्या वसित्री ( = वसनशीला) सतीति मा पुत्रि प्रतीहि ॥ ) 167
SR No.006959
Book TitlePrakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV M Kulkarni
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1988
Total Pages790
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size11 MB
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