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________________ ૧૧૩ ૧૧૮ ૧૨૪ ૧૩૧ ૧૩૪ ૧૩૮ ૧૪૧ m oor m m १४८ ૧૫૦ ૧પ૨ ૧પ૪ तीसरा उद्देशा २४ नैरयिष्ठों उ पुगल परिभा। छा निरुपाया तिर्यज्योनिठ अधिष्ठार डा प्रथम उदेश ૨૫. तिर्यग्योनिछवोंठा निरुपा पक्षियों ही लेश्या आष्ठिा निरुपाया गंधांगो ठा निरुपारा ૨૮ स्वस्ति आछि विमानों हा निरुपा तिर्यग्योनिष्ठ अधिष्ठार छा ठूसरा उद्देशा २८ संसारसभापन्नवों छा निरुपाया उ० भेटसहित पृथिवी आहिछे स्थित्याटिठा निरुपाया अविशुद्ध मेवं विशुद्ध लेश्यावाले अनगार छा निरुपाया उ२ सभ्य-ठ्यिा मेवं भिथ्याध्यिा ये हो घ्यिा मेड TIC में से व में होने हा निषेध तीसरा उद्देशा 33 भेटसहित मनुष्यों हे स्वरुपष्ठा निरुपाया ३४ क्षिटिशा भनुष्यों तु सेठोऽद्वीप हा निरुपाया ૩પ मेठो द्धीप डे आप्ठार आटिठा निरुपाया ३६ मेठोरु द्वीप में रहे वृक्षों ठा निरुपाया मेष्ठोऽद्वीप में रहनेवाले ठे आप्ठारापि आEिठा निरुपाया मेठोरु द्धीप डी मनुष्य स्त्री रुप आहिठा निरुपाया ३८ सेठोरन्द्वीपस्थ छावों ठे आहार आहिछा निरुपारा मेठोरद्वीप में छन्द्रभहोत्सव माहि महोत्सव विषय प्रश्नोत्तर ४१ सेठोरुद्वीप में डिंस-ऽभर आदि विषय हा निरुपाया आभाषिद्वीप ठा निरुपाया ४३ हया द्वीप ठा निरुपारा ४४ हेवों ठे स्वरुप छा निरुपाय ४५ उत्तर हिशा में रहे हुवे ससुराभार देवों छा निरुपाया ४६ नागगाभारों ठेलवनाद्विारों छा निरुपाया ४७ वानव्यन्तर हेवों भवन आEिठा निरपरा ४८ पयोतिषिठ हेवों के विभान आहिला निरुपारा ४८ द्वीप मेवं समुद्रों छा निरुपाया ५० गती : उपर डे पद्मवरवेष्ठिा ठा निरुपारा ५१ वनषन्ऽ आEिठा वर्शन ॥सभाप्त॥ જીવાભિગમસૂત્રા ૧પ૬ ૧૬૬ १७४ ૧૮૨ उ८ १८८ ४० ૪૨ ૧૯૪ २०१ २०६ २०७ ૨૧૫ ૨૨૨ २२४ २३० २३४ ૨૩૬ २४० २४६
SR No.006444
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages278
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size13 MB
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