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________________ उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, ते य से वियरेज्जा एवं से कप्पइ अण्ण गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, ते य से नो वियरेज्जा एवं से नो कप्पइ अण्णं गण संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, जत्थुत्तरियं धम्मविणयं लभेज्जा एवं से कप्पइ अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ता गं विहरित्तए, जत्थुत्तरियं धम्मविणयं नो लभेज्जा एवं से नो कप्पई अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए ॥२५॥ मिक्खू य इच्छेज्जा अण्ण आयरियउवज्झायं उदिसावित्तए, णो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेयगं वा अण्णं आयरियउवज्झायं उदिसावित्तए, कप्पद से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेयगं वा अण्णं आयरियउवज्झायं उद्दिसावित्सए. ते य से वियरेज्जा एवं से कप्पइ अगं आयरियउवज्झायं उदिसावित्तए, ते य से नो वियरेज्जा एवं से नो कप्पइ अण्णं आयरियउवज्झायं उदिसावित्तए, नो से कप्पइ तेसि कारणं अदीवित्ता अण्णं आयरियउवज्झायं उदिसावित्तए, कप्पड से तेर्सि कारणं दीवित्ता अण्णं आयरियउवज्झायं उदिसावित्तए ॥२६॥ गणावच्छेयए य इच्छेज्जा अण्णं आयरियउवज्झायं उदिसावित्तए नो से कप्पइ गणावच्छेयगत्तं अणिक्खिवित्ता अण्णं आयरियउवज्झायं उदिसावित्तए, कप्पइ से गणावच्छेपगत्तं णिक्खिवित्ता अण्णं आयरियउवज्झायं उदिसावित्तए, नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेयगं वा अण्मं आयरियउवज्झायं उदिसावित्तए, कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेयगं वा अण्णं आयरियउवज्झायं उदिसावित्तए ते य से वियरेज्जा एवं से कप्पइ अण्णं आयरियउवज्झायं उदिसावित्तए, ते य से नो वियरेज्जा एवं से नो कष्पइ अण्णं आयरियउवज्झायं उद्दिसावित्तए, नो से कष्पइ तेसिं कारणं अदीवित्ता अण्णं आयरियउवज्झायं उदिसावित्तए, कष्पइ से तेसिं कारणं दीवित्ता अण्णं आयरियउवज्झायं उदिसावित्तए ॥२७॥ आयरिय-उवज्ञाए य इच्छिज्जा अन्नं आयरियउवज्झायं उदिसावित्तए नो से कप्पा आयरियउवज्झायत्तं अणिक्खिवित्ता अण्णं आयरियउवज्झायं उदिसाक्तिए, कप्पइ से आयरियउवज्झायत्तं णिक्खिवित्ता अण्णं आयरियउपज्झायं उदिसावित्तए, णो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेयगं वा अण्णं आयरिय उवज्झायं उदिसावित्तए, कप्पा से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेयगं वा अण्णं आयरियउवझायं उद्दिसावित्तए, ते य से वियरेन्जा एवं से कप्पइ अण्णं आयरियउवज्झायं उदिसावित्तए, ते य से नो विथरेज्जा एवं से नो कप्पइ अण्णं आयरियउवज्झायं उदिसावित्तए, नो से कप्पइ
SR No.006363
Book TitleAgam 25 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages210
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size30 MB
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