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________________ १२ निग्गंथेण य गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुष्पविद्वेणं अन्नयरे अचित्ते अणेसणिज्जे पाणभोयणे पडिग्गाहिए सिया, अत्थि या इत्थ केइ सेहतराए अणुवट्ठावियए कप से तस्स दाउँ वा अणुष्पदाउं वा, नत्थि या इत्थ केइ सेहतराए अणुबट्ठावियए तं नो अप्पणा भुंजिज्जा नो अन्नेसिं दावए, एगंते बहुफासुए थंडिले पडिलेहित्ता पमज्जित्ता परिवेयव्वे सिया ॥ १८ ॥ जे कडेकपट्ठियाणं कप्पड़ से अकप्पट्ठियाणं, नो से कप्पड़ कप्पट्ठियाणं, जे कडे अपट्ठियाणं णो से कपइ कप्पट्ठियाणं कप्पर से अकप्पट्ठियाणं, कप्पे ठिया कप्पट्ठिया, raud ठिया अकपट्टिया ॥ १९ ॥ भिक्खू य गणाओ अवकम्म इच्छेज्जा अण्णं गणं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, नो से कप अणापुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा पवत्तयं वा थेरं वा गणि वा गणहरं वा गणावच्छेयगं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, कप्पड़ से आपुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा पवत्तयं वा थेरं वा गणि वा गणहरं वा गणावच्छेयगं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरितए, ते य से वियरेज्जा एवं से कप्पइ अन्नं गणं उवसंपज्जित्ता णं विहरित, ते य से नो वियरेज्जा एवं से नो कप्पइ अण्णं गणं उपसंपज्जित्ता णं विहरित ॥ २० ॥ गणावच्छेयए य गणाओ अवक्कम्म इच्छेज्जा अण्णं गण उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नो से कप्पड़ गणावच्छेयगस्स गणावच्छेयगत्तं अणिक्खिवित्ता अन्नं गणं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए, कप्पर गणावच्छेयगस्स गणावच्छेयगत्तं णिक्खिवित्ता अण्णं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरिक्तए, णो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा उवज्झायं वा पवतयं वा थेरं वा गणि वा गणहरं वा गणावच्छेयगं वा अन्नं गणं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, कप्पर से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेयगं वा अण्णं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, ते य से वियरेज्जा एवं से कप्पर अण्णं गणं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, ते य से णो वियरेज्जा एवं से णो कप्पर अण्णं गणं उत्रसंपज्जित्ताणं विहरत् ॥ २१ ॥ आयरिउवज्झाए य गणाओ अवकम्म इच्छेज्जा अण्णं गण उवसंपज्जित्ता गं विहरित्तए नो से कप्प आयरियउवज्झायस्स आयरियउवज्झायत्तं अणिक्खिवित्ता अण्ण गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पड़ से आयरियउवज्झायस्स आयरियउवज्झायत्त णिक्खिवित्ता अण्णं गणं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, नो से कप्पइ अगापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेयगं बा अण्णं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरितए, कप्पइ से आपुच्छित्ता
SR No.006363
Book TitleAgam 25 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages210
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size30 MB
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