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________________ ५८ अजीवों के पर्यायका निरूपण ७७४-७८१ परमाणु पुद्गलके पर्यायका निरूपण ७८२-८२२ द्वि प्रदेशी पुद्गलके पर्यायका निरूपण ८२३-८६३ जघग्यगुणकालादि पुद्गलके पर्यायका निरूपण ८६४-९०६ सामान्य स्कंधके पर्यायका निरूपण ९०७-९२८ छठापद अधिकार विषयको दिखानेबाली संग्रहिणी गाथा ९२९-९३१ उपपात एवं उद्वर्त्तना का निरूपण ९३२-९४१ विषेष उपपातका निरूपण ९४२-९६८ विषेष उद्वर्तना का कथन ९६९-९७० सान्तर निरन्तर उपपात द्वारका निरूपण ९७१-९८४ नैरयिकादिकों के एकसमय से उपपातका निरूपण ९८५-१०१६ उरपरिसादि के एकसमय से उपपातका निरूपण १०१७-१०५२ असुरकुमारों के उपपातका निरूपण १०५३-१०७५ पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिकादिकों के उपपातका निरूपण १०७६-१०८९ वैमानिक देवों के उपपातका निरूपण १०९०-११०६ नैरयिकोंके उद्वर्तनाका निरूपण ११०७-११११ असुरकुमारादि के उद्वर्तना का निरूपण १११२-११२२ तिर्यग्योनिकादि के उद्वर्तना का निरूपण ११२३-११३६ नैरयिकों के परमविकायुष्यका निरूपण ११३७-१९४८ आयुबन्धका निरूपण ११४९-११६२ ॥ समाप्त ॥ શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨
SR No.006347
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1177
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size68 MB
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