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________________ ७६० जीवाभिगमसूत्रे कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता, तथा बाह्यायां पर्षदि देवानां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता, एवम् - आभ्यन्तरिकायां पर्षदि देवीनां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता माध्यमिकायां पर्षदि देवीनां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता तथा - 'बाहिरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता' बाह्यायां पर्पदि देवीनां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्तेति प्रश्नः, भगवानाह - 'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'भूयाणंदस्स णं 'अभितरियाए परिसाए' भूतानन्दस्य खलु आभ्यन्तरिकायां समिताभि धानायां पर्षदि 'देवाणं देभ्रूणं पलिओवमं ठिई पन्नत्ता' देवानां देशानं पलिओवमं स्थितिः प्रज्ञप्ता, 'मज्झमियाए परिसाए' माध्यमिकायां चण्डाभिधानायां पर्षदि 'देवाणं साइरेगं ' अद्धपलिओम ठिई पन्नत्ता' देवानां सातिरेकमपल्योपमं स्थितिः प्रज्ञप्ता, तथा - ' बाहिरियाए परिसाए देवाणं' बाह्यायां जाताभिधानायां पर्पदि देवानाम् ' अद्धपलिओम ठिई पन्नत्ता' अदूर्धपल्योपम स्थितिः बदा के देवों की स्थिति - आयुष्ककाल- कितनी कही गई है। इसी तरह से मध्यमा परिषदा के देवों की स्थिति कितनी कही गई है ? बाह्या परिषदा के देवों की स्थिति कितनी कही गई है ? तथा - आभ्यन्तर परिपदा के देवियों की स्थिति कितनी कही गई है मध्यमा परिषदा की देवियों की स्थिति कितनी कही गई है। बाह्य परिषदा की देवियों की स्थिति कितनी कही गई है ? इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं 'गोयमा' भूतानंदस्स अभितरियाए परिसाए देवाणं देणं पलिओवम ठिती पण्णत्ता' हे गौतम! भूतानन्द की आभ्यन्तर परिषदा के देवों की स्थिति कुछ कम एक पल्योपम की कही गई है 'मज्झिमियाए परिसाए देवाणं साइरेगं अद्धपलिओम ठिती पण्णत्ता' मध्यमा परिषदा के देवों की कुछ अधिक आधे पल्योपम की स्थिति कही गई है 'बाहिरिया परि રેન્દ્ર નાગકુમારરાજ ભૂતાનદની આભ્યતર પરિષદાના દેવાનીસ્થિતિ-આયુષ્યકાળ કેટલી કહેલ છે ? એજ પ્રમાણે મધ્યમા પરિષદાના દેવાની સ્થિતિ કેટલી કહેલ છે ? તથા બાહ્યા પરિષદાન દેવાની સ્થિતિ કેટલી કહેલ છે ? તથા આત્યંતર પરિષદાની દેવિચેાની સ્થિતિ કેટલી કહેલ છે ? મધ્યમા પરિષદાની દૈવિયેાની સ્થિતિ કેટલી કહેલ છે? અને બાહ્ય પરિષદાની દૈવિયેાની સ્થિતિ કેટલી કહેલ छे ? या प्रश्नना उत्तरभां प्रभुश्री गौतमस्वामीने म्हे छे 'गोयमा ! भूतानंदस्स अब्भिंतरियाए परिसाए देवाणं देसूणं पलिओवमं ठिई पण्णत्ता' हे ગૌતમ ! ભૂતાનંદની આજ્યંતર પરિષદાના દેવાની સ્થિતિ કંઈક ઓછી ये पयोषमनी हेवामां आवे छे. 'मज्झिमियाए परिसाए देवाणं साइरेग अद्धपलिओ मं ठिई पण्णत्ता' मध्यमा परिषहाना हेवानी स्थिति अंध वधारे જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006344
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages918
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size46 MB
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